
अमेरिका ने उठाए सवाल, EVM पर दुनियाभर में बवाल! जानें भारत का वोटिंग सिस्टम कैसे बना भरोसे की मिसाल
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अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबर्ड ने हाल ही में बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि उनकी एजेंसी को कुछ ईवीएम में ऐसी खामियों के प्रमाण मिले हैं, जो हैकिंग के ज़रिए वोट को पलट सकती हैं. इस बयान ने वैश्विक स्तर पर हड़कंप मचा दिया. लेकिन जहां कई देशों में ईवीएम को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो वहीं भारत एक उज्जवल अपवाद के रूप में खड़ा है.
डिजिटल युग में चुनावी सुरक्षा को लेकर जब पूरी दुनिया चिंतित है, भारत ने अपनी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली (EVM) के ज़रिए लोकतंत्र की सबसे मज़बूत और पारदर्शी मिसाल पेश की है. अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबर्ड ने हाल ही में बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि उनकी एजेंसी को कुछ ईवीएम में ऐसी खामियों के प्रमाण मिले हैं, जो हैकिंग के ज़रिए वोट को पलट सकती हैं.
इस बयान ने वैश्विक स्तर पर हड़कंप मचा दिया. लेकिन जहां कई देशों में ईवीएम को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो वहीं भारत एक उज्जवल अपवाद के रूप में खड़ा है. इसी के मद्देनजर आजतक ने इस विषय की गहराई में जाकर भारत के ईवीएम सिस्टम से जुड़े तथ्यों पर गौर किया और पाया कि कैसे ये सबसे सुरक्षित है.
बता दें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और 2024 में यहां सबसे बड़े चुनाव कराए गए, जिसमें करीब 100 करोड़ मतदाताओं ने हिस्सा लिया. कुछ ही महीनों बाद अमेरिका में भी चुनाव हुए, लेकिन वहां मतगणना को लेकर गंभीर विवाद और तकनीकी गड़बड़ियों की खबरें सामने आईं. ऐसे में टेस्ला और एक्स के प्रमुख एलन मस्क ने भारत की चुनाव प्रक्रिया की खुलकर तारीफ़ की. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'भारत की ईवीएम प्रणाली तेज, भरोसेमंद और दुनिया के लिए आदर्श है.'
भारत का बेजोड़ मतदान पैमाना
भारत की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की विशिष्टता को समझने के लिए हमें पहले भारत के लोकतांत्रिक अभ्यास के पैमाने को समझना होगा. लगभग 100 करोड़ (1 बिलियन) योग्य मतदाताओं के साथ, भारत पृथ्वी पर सबसे बड़ा चुनाव कराता है. इसके विपरीत, अधिकतर विकसित देशों में मतदाताओं की संख्या बहुत कम होती है और वहां मतदान की प्रक्रिया जटिल होती है- बैलेट पेपर, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, इंटरनेट वोटिंग और निजी नेटवर्क जैसे हाइब्रिड मॉडल का उपयोग होता है, जो संभावित हेरफेर के लिए दरवाज़े खोलते हैं.
चुनाव आयोग के सूत्रों ने आजतक को बताया कि कुछ देश इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं जो कई तकनीकों और नेटवर्क्स का मिश्रण होते हैं, जिनमें इंटरनेट और निजी नेटवर्क भी शामिल हैं. लेकिन भारत में उपयोग होने वाली ईवीएम मशीनें बिलकुल साधारण हैं. यह मशीनें एकदम सटीक कैलकुलेटर की तरह काम करती हैं और इन्हें इंटरनेट, वाई-फाई या इन्फ्रारेड से नहीं जोड़ा जा सकता. 5 करोड़ से अधिक वीवीपैट पर्चियों का उम्मीदवारों की उपस्थिति में काउंटिंग के दौरान मिलान किया गया है.

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