
अमित शाह की डेडलाइन, फिर एनकाउंटर, सरेंडर और सफाया... 'सीजफायर' ऑफर के लिए ऐसे मजबूर हुए नक्सली
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अगस्त 2024 में नक्सलियों के खिलाफ आखिरी अभियान की घोषणा करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अब मजबूत रणनीति और निर्मम दृष्टिकोण पर काम करते हुए नक्सलियों का सफाया करने की जरूरत है. इसके बाद सुरक्षाबलों ने राज्य पुलिस के साथ मिलकर नक्सलियों के खिलाफ ताबड़तोड़ अभियान शुरू किया.
गृह मंत्री अमित शाह ने 24 अगस्त 2024 को रायपुर में कहा था कि देश से मार्च 2026 तक नक्सलवाद का खात्मा कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि लेफ्ट विंग माओवाद के खिलाफ लड़ाई अपने अंतिम चरण में है. तब उन्होंने कहा था कि अब समय आ गया है कि वामपंथी उग्रवाद पर एक मजबूत रणनीति और निर्मम दृष्टिकोण के साथ अंतिम प्रहार किया जाए.
अमित शाह ने भले ही देश से माओवाद के खात्मे की डेडलाइन मार्च 2026 दी थी, लेकिन नक्सलियों की ओर से हथियार डालने का ऑफर मार्च 2026 की डेडलाइन से पहले ही आ गया है.
नक्सलियों ने पहली बार एक प्रेस रिलीज जारी कर सशस्त्र संघर्ष छोड़ने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है. हालांकि ये प्रस्ताव अस्थायी है. लेकिन माओवादी चाहते हैं कि सरकार एक महीने के लिए सीजफायर घोषित करे. इस दौरान माओवादी सरकार से बात करने के लिए भूमिका बनाना चाहते हैं और खुद नक्सली कैडरों से संपर्क करना चाहते हैं. गौरतलब है कि ये पत्र 15 अगस्त 2025 को लिखा गया है और इसे 16 सितंबर 2025 को जारी किया गया है.
नक्सलियों ने इस पत्र में लिखा है, 'हम शांति वार्ता के लिए गंभीर एवं ईमानदारी के साथ प्रयास कर रहे हैं.'
राजनीतिक प्रक्रिया में लौटने का संकेत
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की ओर प्रवक्ता अभय की ओर से जारी इस पत्र में माओवादियों ने लिखा है कि भविष्य में माओवादी जन समस्याओं पर तमाम राजनीतिक पार्टियों और संघर्षरत संस्थाओं के साथ मिलकर जहां तक संभव हो सके कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करने के लिए तैयार हैं.

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