
RSS कैसे बिहार वाला 'सक्सेस फॉर्मूला' यूपी में इस्तेमाल करने जा रहा है
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बिहार में मिली अपार सफलता के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यूपी को अगला प्रयोगशाला बनाने जा रहा है. बिहार के मुस्लिम आबादी के प्रभाव वाले इलाकों में भी संघ ने कोशिश की कि सुशासन और विकास के नाम पर लोग वोट डालें, और कामयाब रहा. संघ अब वैसे ही उपाय यूपी में आजमाने जा रहा है.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होने में अभी काफी वक्त है. एक साल से भी ज्यादा का समय. यूपी से पहले पश्चिम बंगाल सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. बिहार के बाद बीजेपी का सबसे ज्यादा जोर तो पश्चिम बंगाल पर ही है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यूपी में अभी से सक्रिय हो गया है.
संघ के यूपी में पहले से ही सक्रिय होने की खास वजह भी लगती है. एक तो बिहार चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को मिली जबरदस्त कामयाबी, और दूसरा - 2024 के आम चुनाव में बीजेपी का बेहद खराब प्रदर्शन.
लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन के लिए भले ही बीजेपी ज्यादा जिम्मेदार रही हो, लेकिन खुशी तो संघ को भी नहीं हुई होगी. सबक सिखाने के लिए भले ही संघ ने कुछ देर के लिए मुंह फेर लिया हो, लेकिन अपनी ही मेहनत पर वो खुद भी ज्यादा दिन तक पानी तो फेर नहीं सकता. बरसों की मेहनत के बाद तो संघ के राजनीतिक संगठन बीजेपी को केंद्र सहित कई राज्यों में सत्ता हासिल हो पाई है.
बीजेपी को महाराष्ट्र और दिल्ली में भी जबरदस्त सफलता मिली थी, लेकिन बिहार की तो बात ही और है. बिहार में तो बीजेपी को वैसी कामयाबी मिली है, जैसी 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली थी. कांग्रेस मुक्त भारत का बीजेपी का नारा भले ही हकीकत नहीं बन पाया हो, लेकिन विपक्ष मुक्त बिहार तो करीब करीब हो ही गया है. बिहार में बीजेपी ने नीतीश कुमार और चिराग पासवान को साथ लेकर जिस तरह लालू यादव और तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी को समेट दिया है, विपक्ष का संघर्ष तो बढ़ ही गया है.
विकास के मामले में बिहार मॉडल अब तक भले न बन पाया हो, लेकिन उत्तर भारत की राजनीतिक अहमियत के हिसाब से देखें तो बीजेपी की जीत का बेहतरीन मॉडल तो बन ही गया है - और अब संघ बीजेपी के लिए बिहार जैसी ही जीत यूपी में पक्की करने की तैयारी में जुट गया है.
2027 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को और असरदार बनाने के मकसद से जमीन पर उतरने जा रहा है. संघ के प्रस्तावित 'विराट हिंदू सम्मेलन' के पीछे भी यूपी विधानसभा चुनाव 2027 ही है.

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