Monsoon Deficit 2023: चिलचिलाती गर्मी, बारिश में कमी... विलेन बन रहा है El-Nino, क्या नॉर्थ पोल से आएगी राहत?
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इस साल गर्मी रुलाएगी. बारिश तरसाएगी. क्योंकि विलेन बन रहा है प्रशांत महासागर. आशंका है कि El-Nino की वजह से इस साल गर्मी भी ज्यादा पड़ेगी. मॉनसून में सामान्य से 15% तक कम बारिश हो सकती है. राहत की लहर सिर्फ पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव से आ सकती है. जैसा साल 2021-22 में हुआ था.
पूरे देश के लिए यह एक खराब खबर हो सकती है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार मॉनसून में बारिश कम होगी. दुनिया भर के एक्सपर्ट इस बात को मान भी रहे हैं. वो एक खास तरह के शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसकी वजह से बारिश कम होने के आसार हैं. मॉनसून सीजन जून से सितंबर तक होता है. पिछली साल अच्छी बारिश हुई थी. इसके बावजूद देश का 17% इलाका सूखे की चपेट में रहा.
पिछली साल जिन इलाकों बारिश कम हुई थी, वो हैं- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में गंगा के मैदानी इलाके और उत्तर पूर्व के कुछ राज्य. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) के मुताबिक ये साल अल-नीनो (El-Nino) या एन्सो न्यूट्रल ईयर (ENSO-neutral year) हो सकता है. इसका मतलब ये है कि मॉनसून में सामान्य से कम बारिश हो सकती है.
पिछले साल मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, मॉनसून में 925 मिलीमीटर बारिश हुई थी. जबकि, सामान्य बारिश का आंकड़ा 868.6 मिमी था. 2021 में सामान्य से 1 फीसदी कम बारिश हुई थी. जबकि, 2020 में 9 फीसदी और 2019 में 10 फीसदी ज्यादा बारिश हुई थी.
गर्मियों में अल-नीनो की तरफ इशारा
नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फियरिक साइंस के रिसर्च साइंटिस्ट अक्षय देवरास ने CSE को बताया कि अभी के हिसाब से 2023 की गर्मियां अल-नीनो यानी एन्सो-न्यूट्रल की तरफ इशारा कर रहा है. अल-नीनो, ला-नीना और न्यूट्रल फेज अल-नीनो साउदर्न ऑसीलेशन के हिस्से हैं. जो वायुमंडलीय सर्कुलेशन को बदलते हैं. पहले समझते हैं कि ये अल-नीनो और ला-नीना क्या हैं?
अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टिट्यूट के अनुसार अल-नीनो और ला-नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है, जिसका दुनिया भर में मौसम पर प्रभाव पड़ता है. अल-नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला-नीना के कारण ठंडा.
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