
Jharkhand: प्राइवेट अस्पतालों में Free इलाज हुआ बंद, आयुष्मान भारत योजना की उखड़ने लगी सांसें
AajTak
Jharkhand News: झारखंड के प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से मरीजों का इलाज बंद होता जा रहा है. इसके चलते नई-पुरानी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की जिंदगी पर बन आई है.
आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojana) अब झारखंड में दम तोड़ती नजर आ रही है. मरीजों की मदद के लिए चलाई इस योजना के तहत अधिकांश प्राइवेट अस्पतालों ने इलाज करने से मना कर दिया है. इस वजह से अब गरीब मरीजों की परेशानी बढ़ने लगी है. हालात ऐसे हो गए हैं कि गढ़वा जिले में कर्ज लेकर लोग जैसे-तैसे इलाज कराने को लेकर मजबूर हैं. Aajtak ने इसका रियलिटी चेक किया कि कैसे मरीज आयुष्मान के सहारे जिंदा थे? और अब क्या हालात हैं...
जिला मुख्यालय के परमेश्वरी मेडिकल हॉस्पिटल में गरीबों का आयुष्मान भारत के तहत इलाज होता रहा है, लेकिन अब यहां इलाज पैसों से होने लगा है. क्योंकि इस हॉस्पिटल को आयुष्मान योजना से जुड़े मरीजों के इलाज की राशि सरकार की तरफ से नहीं मिल रही है.
डायलिसिस पर जिंदा रहने वाले मरीजों ने बताया कि उनके लिए आयुष्मान कार्ड ही एक एक सहारा था, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने कैशलैश इलाज करने से मना कर दिया है. अस्पताल में भर्ती एक और मरीज गुफरान अकमल ने बताया, 'मेरा डायलिसिस सप्ताह में दो दिन नहीं हुआ तो मै मर जाऊंगा.' दूसरे मरीजों ने कहा कि जिंदा रहने के लिए हम जैसे-तैसे पैसे की जुगाड़ कर अपना इलाज करवा रहे हैं. बीमारियों से पीड़ित मरीजों ने गुहार लगाई है कि सरकार हमारी सुने और फिर से आयुष्मान भारत योजना की सुविधा दे ताकि हम जीवित रह सकें.
'बहाने से हम परेशान':
प्राइवेट अस्पताल के प्रबंधकों डॉक्टर निशांत सिंह और डॉक्टर परवेज सिंह का कहना है कि हम क्या करें और कितना करें? पिछले 13 महीने से मरीजों का इलाज कर रहे हैं. जब भुगतान की बात आती है तो सरकार की तरफ से दस तरह का बहाना बना दिया जाता है. अस्पताल के मालिकों का कहना है कि करोड़ों की राशि अटकी हुई है, जिसका पैसा अब तक नहीं मिल पा रहा है. जांच हो गई है. अब क्या हमें भुगतान होगा तभी हम सेवा दे पाएंगे, नहीं तो हम कोर्ट की शरण लेंगे.
वहीं, इस मामले में स्वास्थ विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रवीण सिंह ने कहा कि यह बात सही है कि इन लोगों का भुगतान नहीं हो पाया है. जल्द ही भुगतान की प्रक्रिया कर दी जाएगी.

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