Green Crackers: क्या होते हैं ग्रीन पटाखे? दिवाली पर हवा में नहीं घुलने देंगे जहर
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आखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, स्कीन इन्फेक्शन, धुएं के गुब्बारे से भरा आसमान... पटाखों से निकले धुएं का असर कुछ इसी तरह होता है. देश की राजधानी दिल्ली हर साल दिपावली के बाद धुएं से भर जाती है. सब कुछ धुंधला-धुंधला सा दिखाई देने लगता है. ऐसे में हमें कुछ कदम उठाना ही था, हमने पराली जलाने पर रोक लगाई, ऑड-इवन का फॉर्मूला अपनाया और पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई. लेकिन वो कहते हैं ना, मन माने कैसे... लोग पटाखे जलाना ऐसे ही नहीं छोड़ सकते थे. तो सामने आए ग्रीन पटाखे. जो समान्य पटाखों की तुलना में काफी कम हानिकारक होते हैं. ग्रीन पटाखों के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए देखें वीडियो.
नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
देश के ज्यादातर मैदानी इलाकों में पड़ रही प्रचंड गर्मी के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने बड़ा फैसला लिया है. LG ने निर्देश दिया है कि इस भीषण गर्मी में मजदूरों को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक काम से छुट्टी मिलेगी. साथ ही मजदूरों को मिलने वाली इस राहत के बदले कोई भी उनकी सैलरी नहीं काट सकेगा.
करीब सवा सौ गज के एक छोटे से मकान में यह अस्पताल चल रहा था. इस मकान की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी वक्त गिर सकता है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर बिखरे मिले. इनमें से कुछ सिलेंडर के परखचे उड़े हुए थे, क्योंकि आग लगने के बाद इनमें विस्फोट हुआ था अस्पताल में लगी आग को भयावह रूप देने में इन ऑक्सीजन सिलेंडर ने भी मदद की.