
Date Final: 28 सितंबर को लॉन्च होगी सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार, सिंगल चार्ज में दौड़ेगी 310km
AajTak
टाटा मोटर्स के इलेक्ट्रिक व्हीकल के पोर्टफोलियो में पहले से ही दो कारें नेक्सन और टिगोर मौजूद हैं. टा मोटर्स ने अपने टानेक्सन ईवी और टिगोर ईवी के दम पर भारत में इलेक्ट्रिक पैसेंजर व्हीकल मार्केट में 88 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर लिया है. कंपनी अब सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार लाने वाली है.
घरेलू व्हकील कंपनी टाटा मोटर्स (Tata Motors) इस महीने अपनी सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) लॉन्च करने वाली है. कार की लॉन्चिंग डेट से पर्दा उठ गया है. कंपनी का दावा है कि टाटा टियागो (Tata Tiago) उसकी सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार होगी. देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी अपने इलेकट्रिक व्हीकल के पोर्टफोलियो को मजबूत करने में जुटी है. टियागो टाटा की एंट्री लेवल की हैचबैक कार है. कंपनी ने इसे इलेक्ट्रिक वैरिएंट में उतारने का ऐलान किया है.
इसी महीने होगी लॉन्च
टाटा टियागो इस महीने की 28 तारीख को लॉन्च होगी. कहा जा रहा है कि देश की सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार होगी. टाटा मोटर्स के इलेक्ट्रिक व्हीकल के पोर्टफोलियो में पहले से ही दो कारें नेक्सन और टिगोर मौजूद हैं. नेक्सन इलेक्ट्रिक भारतीय मार्केट में खूब बिक रही है. खबरों की मानें, तो टाटा टियागो इलेक्ट्रिक की कीमत 10 लाख रुपये से कम हो सकती है. अगर इसकी रेंज की बात करें, तो एक बार चार्ज करने पर करीब 310 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है.
इलेक्ट्रिक सेगमेंट का विस्तार
टाटा टियागो इलेक्ट्रिक में 26kWh की बैटरी मिल सकती है. नेक्सन इलेक्ट्रिक को मिली सफलता के बाद कंपनी इस सेगमेंट को विस्तार करने के प्लान पर तेजी काम कर रही है. आने वाले समय कंपनी प्रीमियम हैचबैक कार अल्ट्रोज को भी इलेक्ट्रिक वैरिएंट में उतार सकती है. अगले पांच वर्षों में टाटा मोटर्स ने 10 इलेक्ट्रिक वाहन मॉडल पेश करने का टार्गेट बनाया है.
कंपनी घरेलू बाजार में पहले से ही सबसे सस्ते इलेक्ट्रिक वाहनों में से एक Tigor EV को पहले से ही बेच रही है. इसकी कीमत 12.49 लाख रुपये है. वहीं, दूसरी तरफ अन्य इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बनाने वाली कंपनियां 20 लाख रुपये से अधिक की कीमत पर अपनी कारों को पेश कर रही हैं. Hyundai की Kona Electric की कीमत 25.30 लाख रुपये से शुरू होती है. वहीं, MG ZS EV की कीमत 22.00 लाख रुपये से शुरू होती है.

भारत और यूरोप के वर्क कल्चर में फर्क को जर्मनी में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर कौस्तव बनर्जी ने 'जमीन-आसमान का अंतर] बताया है. उनके मुताबिक, भारत में काम का मतलब अक्सर सिर्फ लगातार दबाव, लंबे घंटे और बिना रुके डिलीवरी से जुड़ा होता है, जबकि जर्मनी और यूरोप में काम के साथ-साथ इंसान की जिंदगी को भी बराबर अहमियत दी जाती है.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo का संचालन शनिवार को भी पटरी पर नहीं लौट सका. संकट अब पांचवें दिन में पहुंच गया है और दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु व चेन्नई एयरपोर्ट पर यात्री रातभर अपने उड़ानों का इंतजार करते नजर आए. पिछले चार दिनों में एयरलाइन को 2,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं, जिससे करीब तीन लाख से ज्यादा यात्रियों की यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.











