CM शिवराज ने टाला ऑपरेशन 'बेटी बाजार' से जुड़ा सवाल, सुप्रिया श्रीनेत बोलीं- शर्म से झुक गया सिर
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आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में राजस्थान और मध्य प्रदेश में जिस्मफरोशी के लिए बेटियों को बेचने का भंडाफोड़ हुआ. आजतक की इन्वेस्टिगेशन टीम सबसे पहले राजस्थान के तीन गांवों में पहुंची और इस सौदेबाजी को अपने कैमरे में रिकॉर्ड किया. राजस्थान के इन गांवों में बेटियों की बोलियां लगाई जा रही हैं. इनकी सौदेबाजी हो रही है. बेटियों के इस बाजार में बिचौलियों की भरमार है.
आजतक के स्टिंग ऑपरेशन बेटी बाजार ने पूरे देश की आंखें खोलकर रख दी हैं. राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश तक बेटियों को जिस्मफरोशी के लिए बेचने वालों के चेहरे बेनकाब कर दिए गए हैं. इस स्टिंग ऑपरेशन में बताया गया है कि किस तरह अपने ही मां बाप और रिश्तेदार चंद पैसों के लिए बेटियों को बेचने में लगे हैं. ऐसे में इस स्टिंग ऑपरेशन को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की प्रतिक्रिया भी आई है.
शिवराज सिंह चौहान से जब इस ऑपरेशन बेटी बाजार के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें अभी इस पर कुछ नहीं बोलना है.
ऑपरेशन बेटी बाजार को लेकर कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि बेटी बाजार स्टिंग ऑपरेशन देखकर मेरा सिर शर्म से झुक गया. देश के बड़े हिस्सों में महिलाएं अभी भी खुद को दोयम दर्जे का नागरिक मानती हैं. राजस्थान सरकार ने इस मामले पर संज्ञान लिया है और इस मामले की उचित जांच होगी. मुझे उम्मीद है कि मध्य प्रदेश सरकार भी इस पर संज्ञान लेगी. यह बहुत गंभीर मामला है.
राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि बेटी ऑपरेशन स्टिंग ऑपरेशन देखकर दिल दहल गया. पहले राजस्थान के भीलवाड़ा में स्टैम्प पर बेटियां बेची गईं. बेटियों की बिक्री सभ्य समाज पर कलंक और सरकार के ऊपर कालिख की तरह हैं. इस पर संज्ञान लेना चाहिए.
आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय ने कहा कि यह काफी दुखद है. इसकी जांच पड़ताल करने की जरूरत है कि ऐसी क्या स्थिति है जिसकी वजह से परिवार के लोग इस तरह की गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर हो रहे हैं. ऐसे मामलों में पुलिसिया कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके. इन गतिविधियों की गहराई से जांच पड़ताल करके एक कार्य योजना बनाने की ज़रूरत है. 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' नारा देना एक बात है और जमीनी हकीकत पर तब्दील करना दूसरी बात है. बहुत सारे ऐसे मौके आते हैं जब ऐसा लगता है कि नारा अलग है और रियल कार्रवाई अलग है.
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