CAA पास होने के बाद इसे लागू करने में सरकार को 50 महीने क्यों लगे
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लोकसभा चुनाव से ऐन पहले मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन क़ानून देशभर में लागू कर दिया है, क्या केंद्र के इस फैसले की टाइमिंग और इम्पैक्ट में ही सारी बात छिपी है, सुप्रीम कोर्ट ने आज SBI की धुलाई कर दी. मामला चुनावी चंदे से जुड़ी जानकारी देने का है. कोर्ट के इस आदेश का पालन SBI कैसे करेगी और क्या सामने आने वाले इन्फॉर्मेशन से राजनीतिक दलों की टेंशन बढ़ेगी, इंडिया ने चार यूरोपीय देशों के साथ बरसों की बातचीत के बाद एक बड़ी डील क्रैक की है. इससे लाखों नौकरी और अरबों के इन्वेस्टमेंट आने की बात हो रही है, क्या हैं इस डील की बारीकियां, सुनिए 'दिन भर' में, नितिन ठाकुर के साथ.
लोकसभा चुनाव की तैयारियों की सांध्य बेला में केंद्र सरकार ने एक अहम ऐलान किया. सरकार ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया है. इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा. आज शाम को अचानक कयास लगाए जा रहे थे कि पीएम मोदी ख़ुद इसका ऐलान करने टीवी पर आएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
आपको याद दिला दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में CAA बीजेपी के प्रमुख अजेंडे में शामिल था. सरकार ने दिसंबर 2019 में ही संसद से ये क़ानून पास करा लिया था. लेकिन सरकार ने अब तक इस क़ानून को नोटिफाई नहीं किया था. भले ही गृह मंत्री अमित शाह दो महीने से ऐसे संकेत दे चुके थे कि CAA लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा और इसे आज फाइनली लागू भी कर दिया गया. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने इस पर कहा कि सरकार देश हित में फैसला लेती है.
वहीं, पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने कहा कि पहले वो नियमों को देखेंगी और अगर इसमें लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो इसके खिलाफ लड़ेंगी. सरकार ने क़ानून पास करा लिया था तो इसे लागू तो करना ही था, लेकिन टाइमिंग को लेकर विपक्ष के सवाल हैं. अभी लागू करने के पीछे सरकार की मंशा क्या है, सुनिए 'दिन भर' में,
कोर्ट के हंटर से हलकान होंगी पार्टियां?
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया, जिसमें कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक क़रार देते हुए रद्द कर दिया. साथ ही कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को 6 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिये चुनावी चंदा देने वालों के नाम सामने लाने के आदेश दिए थे. हालाँकि, डेडलाइन से ऐन पहले SBI ये कहते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया कि डेटा शेयर करने के लिए 30 जून तक का समय चाहिए. बैंक की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई और कोर्ट ने एसबीआई के उस आवेदन को सिरे से ख़ारिज कर दिया. चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई में 5 जजों की बेंच ने एसबीआई की जमकर क्लास लगाई और अपने आदेश में कहा है कि एसबीआई को कल यानी 12 मार्च तक जानकारी देनी ही होगी.
इसके बाद चुनाव आयोग को यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर 15 मार्च को शाम पाँच बजे तक जारी करनी होगी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील हरिश साल्वे एसबीआई का पक्ष रख रहे थे. वहीं पूर्व क़ानून मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के साथ सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण इस मामले में याचिका दायर करने वाली एनजीओ एडीआर की तरफ से पैरवी कर रहे थे. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद प्रशांत भूषण ने कहा कि ये बहुत सही और मजबूत फैसला है.
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