
Aligarh: मारुति ईको वैन के साइलेंसर चुराने वाले गैंग का पर्दाफाश, 3 अरेस्ट
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उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में पुलिस ने ऐसे गैंग को पकड़ा है जो ईको वैन का साइलेंसर चोरी किया करता था. वारदात के बाद ये आरोपी साइलेंसर मोहम्मद उमर को बेचते थे.
यूपी की अलीगढ़ पुलिस ने ऐसे गैंग को दबोचा है जो मारुति की ईको वैन (Ecco Van) का साइलेंसर चोरी किया करता था. इस मामले में अलीगढ़ की मडराक थाना पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के पास से 11 साइलेंसर बरामद किए गए हैं.
अलीगढ़ के इगलास सर्किल के डीएसपी राघवेंद्र सिंह ने बताया कि ईको वेन से साइलेंसर चोरी करने वाले गैंग को लेकर मडराक थाना पुलिस को सूचना मिली थी. इन आरोपियों की पहचान बदायूं के मुशाहिद अली, अलीगढ़ के नासिर अली और मानिकचंद के रूप में हुई है. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि मारुति वैन के साइलेंसर में लगी मेटल डस्ट की मार्केट में बहुत डिमांड है, इसलिए वे इस वारदात को अंजाम देते थे.
ये आरोपी अलीगढ़ की ताला नगरी में मोहम्मद उमर की फैक्ट्री में साइलेंसर बेचा करते थे. मोहम्मद उमर साइलेंसर से मेटल डस्ट निकाल कर दूसरे राज्यों में बेचता था. इन आरोपियों पर पहले से चोरी के कई मुकदमे दर्ज हैं. अब मोहम्मद उमर को गिरफ्तारी में पुलिस जुट गई है.
10 ग्राम डस्ट की कीमत 10 हजार बता दें कि मारुति ईको वैन में लगा साइलेंसर बेहद खास माना जाता है. इसमें कैटेलिक कन्वर्टर ( Catalytic converter) होता है. यह प्लैटिनम ग्रुप ऑफ मेटल्स (PMG) से बनता है. जब कार सड़क पर चलती है तो इस दौरान साइलेंसर के अंदर विशेष मेटल डस्ट (Metal Dust) भी एकत्रित होती रहती है. भारतीय बाजार में 3000 रुपये से लेकर 6000 रुपये प्रति 10 ग्राम और विदेशी बाजार में 10 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के हिसाब से यह बेची जाती है.
इन राज्यों में सप्लाई ईको का साइलेंसर में लगी मेटल डस्ट को गुजरात के अहमदाबाद, हरियाणा के सोनीपत और सूरत की फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होता है. इन्हीं राज्यों में मुख्यतः इसकी सप्लाई की जाती है. ईको वैन के साइलेंसर की कीमत करीब 60 हजार रुपये तक होती है. साइलेंसर में प्लैटिनम पैलेडियम रोडियम जैसे मेटल्स जमा होते हैं. इनका प्रयोग मेडिकल, ज्वैलरी व इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में खास तौर पर किया जाता है.

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