Air Pollution: जहरीली हवाओं से बचने के लिए पीएं ये आयुर्वेदिक काढ़ा, जानें इसके फायदे
AajTak
Air Pollution: रोज प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. जिसकी वजह से लोगों की इम्युनिटी कमजोर हो रही है और फेफड़ों की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल के आयुर्वेदिक विभाग के एक प्रोफेसर ने आयुर्वेदिक काढ़ा पीने की सलाह दी है. ये काढ़ा प्रदूषण से बचने के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है. आइए जानते हैं इस काढ़े के फायदे और इसका सेवन कैसे करना है.
Pollution: दिन प्रतिदिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. ऐसे में लोगों को जहरीली हवाओं में रहना पड़ रहा है. जिसकी वजह से लोगों के फेफड़ों में दिक्कत हो रही है. बढ़ते प्रदूषण और भाग दौड़ वाली जिंदगी में लोग अपने शरीर पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. जिसकी वजह से सेहत खराब हो रही है. लेकिन, यदि हम अपने दिनचर्या में से थोड़ा सा समय निकाल कर आयुर्वेद की तरफ ध्यान दें तो ऐसे में प्रदूषण से लड़ा जा सकता है.
काढ़े का प्रयोग कैसे करें
डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल के आयुर्वेदिक विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर सुशील पांडे ने प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ा पीने की सलाह दी है. डॉक्टर सुशील पांडे ने बताया कि, ये काढ़ा लोगों के लिए बहुत उपयोगी है. इस काढ़े की खासियत है कि ये फेफड़ों को मजबूती देता है क्योंकि इसमें वंशलोचन है, जिसमें कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है. साथ ही उसमें ब्रोंकास यानी कि फुसफुस.
काढ़े में मुलेठी का भी प्रयोग होता है, जो गले के संक्रमण को खत्म करता है. साथ ही बलगम को भी जमा नहीं होने देता है. काढ़े में तुलसी का भी प्रयोग होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट का काम करती है. तुलसी के अलावा दालचीनी का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो ब्लड थिनर यानी रक्त को पतला करने में सहायक होता है. ताकि सर्कुलेशन का प्रभाव ठीक से फेफड़ों में बना रहे और वहीं गिलोय का भी इसमें इस्तेमाल होता है, यह इम्युनिटी बढ़ाता है.
ठंड के मौसम में काढ़े का प्रयोग करें
डॉ सुशील पांडे ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि, इलायची और पीपली का भी उपयोग किया जाता है. पीपली पित्त शामक है और कफ को काटती है. इलायची कफ को गले और फेफड़ों में जमा नहीं होने देती. बरसात के मौसम के बाद जो ठंड का मौसम आता है, उसमें होने वाले प्रदूषण में नमी होती है. जिससे धीरे धीरे वह हमारे फेफड़ों में नाक और मुंह के सहारे प्रवेश करता है. इस काढ़े की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये ठंडी के मौसम में कफ कोल्ड नहीं होने देता है और फेफड़ों को भी मजबूत करता है. इसका एक सबसे बड़ा प्लस पॉइंट यह है कि, काढ़ा एसिडिटी नहीं बनाता है. क्योंकि इसमें सौंठ और काली मिर्च नहीं है. यह दोनों आयुर्वेदिक औषधियां शरीर में गैस बनाती हैं.
Ganga Dussehra 2024: हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है. इस दिन मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है और गंगा दशहरा को गंगावतरण भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. साथ ही, इसी दिन भगवान शिव की जटाओं से निकलकर मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी.