
AI इंजीनियर सुसाइड केस: अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया समेत इन तीन लोगों को मिली जमानत
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बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस में गिरफ्तार उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को सिटी सिविल कोर्ट ने जमानत दे दी है. इन तीनों को पुलिस ने प्रयागराज और गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था.
बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस में गिरफ्तार उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को सिटी सिविल कोर्ट ने जमानत दे दी है. इन तीनों में निकिता को पुलिस ने गुरुग्राम और उसके मां-भाई को प्रयागराज से गिरफ्तार किया था. निकिता और उसके परिवार पर अतुल को प्रताड़ित करने का आरोप लगा है. इस मामले में अपनी मौत से पहले अतुल ने 27 पेज का सुसाइड नोट लिखा था. इसके साथ ही एक वीडियो भी बनाया था.
बेंगलुरु कोर्ट के आदेश के बाद निकिता, निशा और अनुराग सिंघानिया को न्यायिक हिरासत में भेज गया था. इसके बाद इन्होंने अपने वकील के जरिए कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. बेंगलुरु पुलिस ने इनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) के तहत केस दर्ज किया है. इसमें बीएनएस की धारा 3(5) कहती है कि जब कई सारे व्यक्ति मिलकर एक ही इरादे से कोई अपराध करते हैं तो सबकी जिम्मेदारी बराबर की होती है.
वहीं, धारा 108 आत्महत्या के लिए उकसाने पर लगाई गई है. यदि कोई व्यक्ति किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने पर दोषी पाया जाता है, तो उसे 10 साल की जेल की सजा हो सकती है. लेकिन इसमें एक पेंच है. पिछले साल 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के एक फैसले को पटलते हुए कहा था कि किसी को खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में तब तक दोषी नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि ये साबित ना हो जाए कि वो डायरेक्ट मौत से जुड़ा है.
ऐसे केस में मौत की टाइमिंग भी एक अहम सबूत साबित होती है. दरअसल गुजरात में एक पत्नी की खुदकुशी के मामले में उसके पति और ससुराल वालों पर खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज हुआ था. गुजरात की निचली अदालत और हाईकोर्ट ने दोषियों को 10 साल की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को पलटते हुए उन्हें बरी कर दिया. ऐसे में यही लगता है कि अतुल के ससुराल वालों में से किसी को भी उसकी मौत का जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा.
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