
5 साल में 27 हजार से ज्यादा अवैध खनन के मामले... अरावली का सच
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राजस्थान के अरावली क्षेत्र में 2020 से 2025 तक अवैध खनन के 27,693 मामले सामने आए, लेकिन सिर्फ 11% पर FIR दर्ज हुई. सबसे ज्यादा मामले भीलवाड़ा (4838) और जयपुर (4261) में. ये बिना किसी सपोर्ट के नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने 2025 में '100 मीटर फॉर्मूला' लागू किया, लेकिन पर्यावरणविद इसे अरावली के लिए खतरा बता रहे हैं.
पिछले पांच साल में अरावली की छाती इतनी खोदी गई है कि लगभग पूरे राजस्थान में ये पहाड़ियां छिछली हो चुकी हैं. मजेदार बात ये है कि राजस्थान के अरावली क्षेत्र में 2020 से अब तक अवैध खनन, परिवहन और सामग्री जमा करने के कुल 27693 मामले सामने आए हैं. लेकिन इनमें से सिर्फ 3199 मामलों में ही FIR दर्ज की गई, यानी केवल 11 प्रतिशत. ये जानकारी केंद्र सरकार ने लोकसभा में 21 जुलाई 2025 को दी. ये कैसे हो सकता है कि इतने मामले बिना किसी सपोर्ट के छिपाए जा सकें.
लोकसभा में पेश रिपोर्ट ... PDF देखें
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अरावली पहाड़ियां दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों से गुजरती हैं. यह क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है. यहां बिना राज्य सरकार की अनुमति के कोई खनन या उत्खनन की गतिविधि नहीं की जा सकती.
राजस्थान में अरावली बेल्ट के 20 जिले हैं, जैसे अजमेर, जयपुर, अलवर आदि. मंत्रालय ने इन सभी जिलों में अवैध खनन से जुड़े मामलों, FIR, जब्त वाहनों और वसूले जुर्माने की जानकारी दी. सबसे ज्यादा मामले भीलवाड़ा जिले में दर्ज हुए हैं. यहां 2020 से 2025 तक कुल 4838 मामले सामने आए. दूसरे नंबर पर राजधानी जयपुर है, जहां 4261 मामले दर्ज हुए. लेकिन सिर्फ अवैध खनन के मामले देखें तो भीलवाड़ा में 514 और जयपुर में सिर्फ 184 थे.

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