
2025 में ये रहे भारतीय राजनीति के सबसे बड़े 'लूजर्स', इनका 2026 में क्या होगा?
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साल 2025 ने जाते जाते बिहार में तेजस्वी यादव को वैसा ही दर्द दे गया, जैसा शुरुआत में अरविंद केजरीवाल को दिया था. एक का मुख्यमंत्री बनने का सपना टल गया, तो दूसरे की सीएम की कुर्सी जाती रही. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के लिए भी ये साल पिछले साल के मुकाबले काफी खराब साबित हुआ है.
राजनीति में भी हर फील्ड की तरह कुछ लोगों के लिए कोई साल उपलब्धियों से भरा होता है. और, कुछ ऐसे भी होते है, जो एक ही साल में बहुत कुछ गवां भी देते हैं - देश की राजनीति को देखें तो 2025 में ऐसे कई नाम देखने को मिलते हैं.
शिकस्त और उपलब्धियों को मापने के लिए पैमाने तो बहुत सारे होते हैं, लेकिन सत्ता की राजनीति में चुनावी जीत और हार सबसे ज्यादा मायने रखती है. जीत हर हाल में हर सवाल का जवाब होता है. सक्सेस का पैमाना होता है, और हार बात बात पर सवाल खड़े करती है. देश के कई नेताओं के लिए उनकी उपलब्धियों को इसी पैमाने पर तौला जा सकता है - चुनावी जीत और हार के पैमाने पर.
साल की शुरुआत आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के लिए तो ऐसी ही रही, और साल 2025 के जाते जाते आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी बिल्कुल वैसा ही अनुभव किया - लेकिन, ऐसा भी नहीं कि साल में अपना बहुत कुछ गंवाने वाले महज ये दो नेता ही रहे. कतार में और भी हैं.
1. अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चुनावी हार का दर्द कुछ कम जरूर हुआ है, लेकिन खत्म तो कोई चुनाव जीतने के बाद ही होगा. 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में दिल्ली वालों ने आम आदमी पार्टी की ऐसी विदाई की कि अरविंद केजरीवाल भी अपनी सीट से चुनाव हार गए.
अरविंद केजरीवाल के साथ साथ उनके सबसे भरोसेमंद और करीबी नेता मनीष सिसोदिया भी अपना हार गए. अरविंद केजरीवाल तो अपनी ही सीट से चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन मनीष सिसोदिया का विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज से बदलकर जंगपुरा कर दिया गया था, लेकिन हार नहीं टाली जा सकी.

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