
10 साल का एक्शन, 6,312 PMLA केस और 120 आरोपियों को सजा... ये है ED की कार्रवाई का पूरा हिसाब
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2014 से 2025 के बीच ED ने 6,312 PMLA केस दर्ज किए, 1,805 प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट फाइल कीं और 120 आरोपियों को सजा दिलाई. साल 2019 के बाद 93 क्लोजर रिपोर्ट दर्ज हुईं. पढ़ें संसद में पेश की गई पूरी रिपोर्ट पर आधारित पूरी कहानी.
Money Laundering India Report: लोकसभा में पेश किए गए नवीनतम सरकारी आंकड़ों ने देश में मनी-लॉन्ड्रिंग के खिलाफ चल रही कार्रवाई की व्यापक तस्वीर सामने रखी है. फाइनेंस राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि 1 जून 2014 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने कुल 6,312 PMLA केस दर्ज किए. यह आंकड़ा साफ दिखाता है कि पिछले एक दशक में मनी-लॉन्ड्रिंग के मामलों में कितनी तेजी से वृद्धि हुई है और एजेंसी ने किस तरह ऐसे अपराधों पर शिकंजा कसा है.
ED की जांच का विस्तृत ब्रेकअप सरकारी डेटा के अनुसार, इन 6,312 केसों की जांच के दौरान ED ने 1,805 प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट और 568 सप्लीमेंट्री प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट फाइल कीं. इन शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए स्पेशल PMLA कोर्ट्स ने कुल 120 आरोपियों को दोषी ठहराया. यह संख्या 2014-15 और 2015-16 में शून्य होने के बाद लगातार बढ़ी है, जिससे स्पष्ट है कि मनी-लॉन्ड्रिंग मामलों की प्रॉसिक्यूशन में तेजी आई है.
सजा के आंकड़ों में लगातार इजाफा पिछले छह वर्षों में ED की कार्रवाई और कोर्ट की सुनवाई में तेजी के साफ संकेत मिलते हैं. 2022-23 में 24 सजा, 2023-24 में 19 सजा, इसके बाद 2024-25 में 38 सजा, जो किसी एक वर्ष में अब तक की सबसे ऊंची संख्या है. वहीं अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच 15 और आरोपियों को सजा सुनाई गई. यह ट्रेंड बताता है कि वित्तीय अपराधों पर सख्ती लगातार बढ़ रही है.
केस रजिस्ट्रेशन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी साल 2019 में PMLA कानून में बदलाव के बाद ED की जांच कार्रवाई में अभूतपूर्व तेजी देखी गई. रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में 996 केस, 2021-22 में 1,116 केस, और 2022-23 में 953 केस दर्ज किए गए. अधिकारियों का कहना है कि केसों की इस बढ़ोतरी का कारण है PMLA के प्रावधानों को मजबूत करना और वित्तीय अपराधों पर बढ़ती निगरानी.
क्लोजर रिपोर्ट दायर करने की नई कानूनी बाध्यता सरकार ने बताया कि 1 अगस्त 2019 को PMLA के सेक्शन 44(1)(b) में संशोधन किया गया, जिसके बाद ED के लिए यह आवश्यक हो गया कि अगर किसी केस में मनी-लॉन्ड्रिंग का अपराध नहीं बनता है, तो उसे कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करनी होगी. इसी बदलाव के चलते 1 अगस्त 2019 से अक्टूबर 2025 तक ED ने 93 क्लोजर रिपोर्ट दायर की हैं.
किन वजहों से बंद किए गए ये 93 केस सरकारी जवाब के मुताबिक, 93 क्लोजर रिपोर्ट तीन प्रमुख कारणों से फाइल हुईं. पहला, जिस प्रेडिकेट अपराध पर मनी-लॉन्ड्रिंग केस आधारित था, उसे इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी ने बंद कर दिया. दूसरा, कोर्ट ने माना कि कोई प्रेडिकेट अपराध हुआ ही नहीं. तीसरा, कुछ मामलों में प्रेडिकेट केस ही क्वैश कर दिए गए. इस तरह ED ने पूर्ण कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए इन्हें बंद किया.

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