
संचार साथी पर तकरार की पूरी कहानी... विपक्ष का हंगामा, सरकार की सफाई और ऐपल का इनकार
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संचार साथी ऐप को लेकर काफी हंगामा हुआ है. DoT ने एक आदेश जारी कर मोबाइल मैन्युफैक्चर्र्स को भारत में इस्तेमाल होने वाले सभी फोन्स में इस ऐप को प्री-इंस्टॉल करने के लिए कहा था. विपक्ष के इसका विरोध करते हुए सरकार पर लोगों की जासूसी का आरोप लगाया. वहीं ऐपल इस मामले में सरकार को इनकार करने की तैयारी में है. आइए जानते हैं पूरा मामला.
संचार साथी आज पूरे दिन चर्चा में बना रहा है. डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने इस ऐप को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया था. नोटिफिकेशन के मुताबिक सभी फोन निर्माता कंपनियों को अपने फोन में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करना जरूरी होगा. ये ऐप डिवाइस सेटअप के वक्त फोन में मौजूद होना चाहिए.
वहीं पुराने फोन्स के लिए कंपनी को OTA अपडेट जारी करना होगा, जिससे लोगों तक ये ऐप पहुंच सके. इस सरकारी ऐप में कई सारी सिटीजन सेवाएं मिलती हैं. हालांकि, इस ऐप को लेकर विपक्ष सरकार पर आक्रामक हो गई.
विपक्ष ने सरकार पर इस ऐप के जरिए लोगों की जासूसी करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इसे 'पेगासस प्लस प्लस' बताया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'बड़े भाई हमारे मोबाइल फोन्स को और हमारी प्राइवेट लाइफ को टेकओवर करेंगे.'
विपक्ष के साथ-साथ आम लोग भी सोशल मीडिया पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या इस ऐप की वजह से उनकी प्राइवेसी खतरे में आ सकती है. इन सब की शुरुआत ऐप को दी जाने वाली परमिशन से हुई है. ये ऐप कई तरह की परमिशन मांगता है, जिसे लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं.
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विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई दी. उन्होंने बताया कि संचार साथी ऐप पूरी तरह से ऑप्शनल है और इसे किसी दूसरे ऐप की तरह ही एक्टिवेट या डिएक्टिवेट किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि अगर कोई इसे नहीं रखना चाहता है, तो ऐप को रिमूव कर सकता है.

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