
'शराब घोटाले पर CAG रिपोर्ट भेजने में देरी क्यों?', हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा
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दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली की AAP सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कैग रिपोर्ट पर जिस तरह से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है. हाई कोर्ट ने आगे जोर देते हुए कहा कि आपको रिपोर्ट को तुरंत स्पीकर को भेजना चाहिए था और इस पर सदन में चर्चा शुरू करनी चाहिए थी. मामले पर आज दोपहर 2:30 बजे फिर सुनवाई होगी.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा में देरी को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की सिंगल-जज बेंच ने कहा कि कैग रिपोर्ट सदन के पटल पर नहीं रखना पड़े इसलिए दिल्ली सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने से अपने पैर पीछे खींच लिए. बता दें कि बीजेपी ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि शराब नीति घोटाले से दिल्ली को 2026 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ. भगवा पार्टी ने दावा किया है कि दिल्ली शराब घोटाले में AAP के कई नेताओं को रिश्वत मिली.
दिल्ली हाई कोर्ट ने AAP सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कैग रिपोर्ट पर जिस तरह से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है. हाई कोर्ट ने आगे जोर देते हुए कहा कि आपको रिपोर्ट को तुरंत स्पीकर को भेजना चाहिए था और इस पर सदन में चर्चा शुरू करनी चाहिए थी. मामले पर आज दोपहर 2:30 बजे फिर सुनवाई होगी. उच्च न्यायालय ने कहा, 'दिल्ली सरकार द्वारा उपराज्यपाल वीके सक्सेना को कैग रिपोर्ट भेजने में देरी और जिस तरह से इस मामले को संभाला गया, उससे 'आपकी (AAP की) विश्वसनीयता पर संदेह' पैदा होता है.'
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चुनाव इतने करीब होने पर सत्र कैसे बुला सकते हैं: AAP
जवाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने तर्क दिया कि चुनाव इतने करीब होने पर विधानसभा सत्र कैसे बुलाया जा सकता है. इससे पहले दिल्ली असेंबली सेक्रेटेरिएट ने हाई कोर्ट को सूचित किया था कि फरवरी में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है. अब कैग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा. बता दें कि बीजेपी के 7 विधायकों ने आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा कैग की 14 रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर नहीं रखे जाने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने हाई कोर्ट से कहा था कि संविधान के तहत सदन का संरक्षक होने के नाते विधानसभा की बैठक बुलाने का स्पीकर का विवेकाधिकार उसके आंतरिक कामकाज का हिस्सा है. यह किसी भी न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है. अब लोक लेखा समिति (PAC) कानूनी ढांचे के अनुसार रिपोर्टों की जांच कर सकती है, जिसका गठन आगामी चुनाव के बाद अगली विधानसभा करेगी. विधानसभा सचिवालय के इस तर्क के जवाब में दिल्ली के एलजी ने कहा था कि हाई कोर्ट को यह अधिकार है कि वह स्पीकर को तुरंत कैग रिपोर्ट सदन के समक्ष पेश करने का निर्देश दे सके.

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