
वक्फ संशोधन एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई, केंद्र के हलफनामे पर अब DMK ने उठाए सवाल
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केंद्र ने 25 अप्रैल को अपने जवाबी हलफनामे में संशोधित वक्फ कानून का बचाव किया और संसद की ओर से पारित कानून पर अदालत की ओर से किसी भी 'पूर्ण रोक' का विरोध किया. सरकार ने हलफनामे में 'वक्फ बाई यूजर' संपत्तियों के प्रावधान को भी सही ठहराया था.
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी. इससे पहले सर्वोच्च अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान इस कानून के दो मुख्य पहलुओं पर रोक लगा दी थी. केंद्र ने 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया था कि वह 5 मई तक न तो 'वक्फ बाई यूजर' सहित वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करेगा, न ही केंद्रीय वक्फ काउंसिल और बोर्डों में कोई नियुक्तियां करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था जवाब
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच को यह भरोसा देते हुए कहा कि संसद की ओर से विचार-विमर्श के बाद पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए. केंद्र ने केंद्रीय वक्फ काउंसिल और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की इजाजत देने वाले प्रावधान पर रोक लगाने के अलावा, 'वक्फ बाई यूजर' सहित वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने के अदालत के प्रस्ताव का भी विरोध किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल की दलीलों पर गौर किया और कहा कि पहले से रजिस्टर्ड या नोटिफिकेशन के जरिए घोषित वक्फ संपत्तियों, जिनमें 'वक्फ बाई यूजर' भी शामिल है, को अगली सुनवाई तक न तो छेड़ा जाएगा और न ही डिनोटिफाई किया जाएगा. इसके बाद कोर्ट ने कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को एक सप्ताह का वक्त दिया था और मामले की अगली सुनवाई 5 मई को तय की थी.
केंद्र सरकार ने दिया हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच सोमवार को पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिनका शीर्षक है 'वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025' और इस मुद्दे पर अन्य संबंधित नई याचिकाएं. याचिकाओं के इस ग्रुप में AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की ओर से दायर एक याचिका भी शामिल है. अपने हलफनामे में 25 अप्रैल को केंद्र ने संशोधित कानून का बचाव किया और संसद की ओर से पारित कानून पर अदालत द्वारा किसी भी 'पूर्ण रोक' का विरोध किया. साथ ही 'वक्फ बाई यूजर' संपत्तियों के प्रावधान को सही ठहराया था.

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