
लोकसभा में इंडिगो संकट और हंगामे के बीच सेस बिल पारित, हंगामेदार रहा शीतकालीन सत्र का पांचवां दिन
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लोकसभा के शीतकालीन सत्र के पांचवे दिन इंडिगो संकट ने संसद में हंगामा मचा दिया. विपक्षी सांसदों ने न्यायपालिका पर विवादित बयान दिए, जिसके कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी.
लोकसभा में शीतकालीन सत्र का पांचवा दिन एक बार फिर हंगामे दार रहा. शुक्रवार को सत्र का पांचवा दिन था और 11 बजे संसद शुरू होने से पहले ही देश में इंडिगो संकट गहरा गया. जो बहस का मुद्दा बना और फिर संसद सत्र पर भी इसका साया पड़ा. सत्र की शुरुआत में ही इंडिगो संकट मामले पर प्रश्नकाल की शुरुआत हंगामे से हुई. विपक्षी सांसद वी वांट जस्टिस के नारे लगाते रहे. उधर राज्यसभा में इंडिगो संकट का मुद्दा छाया रहा. लिहाजा स्पीकर ओम बिड़ला ने तकरीबन 11.30 बजे सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी. वहीं दोपहर दो बजे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित करनी पड़ी.
पांचवें दिन हुआ कई बार हंगामा 12 बजे के बाद जब सत्र की शुरुआत हुई तब दोपहर में शून्यकाल के दौरान टीएमसी सांसद शताब्दी राय और महुआ मोइत्रा ने हंगामा किया और फिर इसके बाद बड़ी बहस हुई DMK सांसद टीआर बालू और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के बीच. असल में डीएमके सांसद ने हाईकोर्ट जज को 'RSS जज कह दिया. इस पर लोकसभा में हंगामा हो गया.
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस पर आपत्ति उठाई. उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान न्यायपालिका पर कलंक लगाने जैसे हैं. TR बालू ने प्रश्नकाल में मद्रास हाईकोर्ट के जज पर टिप्पणी की थी. दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट जज ने मदुरै में अरुलमिगु सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर में श्रद्धालुओं को पारंपरिक दीप जलाने की अनुमति दी थी. इस पर तमिलनाडु सरकार ने आपत्ति भी जताई थी.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा- न्यायपालिका को बदनाम करने की आपकी हिम्मत कैसे हुई? संसदीय बहस में शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए और नियमों का पालन करना चाहिए. हम इस बात के खिलाफ नहीं है कि वह क्या कहना चाहते हैं, लेकिन वह असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते. रिजिजू ने आगे कहा- इससे न केवल आपके लिए, बल्कि आपकी पार्टी के लिए भी बेवजह परेशानी खड़ी होगी.
लोकसभा में चेयर पर बैठे कृष्णा प्रसाद टेनेटी ने कहा- बालू के बयान को रिकॉर्ड से हटाया जाएगा. उन्होंने कहा- मामला सब-ज्यूडिस है. आपने एक माननीय जज को गलत तरीके से संबोधित किया. इसे वापस लिया जाता है. हम किसी भी जज को ऐसे शब्दों में संबोधित नहीं कर सकते. हालांकि, इसके बाद भी बालू अपने बयान पर कायम रहे और तर्क दिया कि जज ने खुद ही संगठन के साथ अपने जुड़ाव को स्वीकार किया था.
सरकार की ओर से जवाब देते हुए, संसदीय मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री एल मुरुगन ने तमिलनाडु में DMK सरकार पर धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया. उन्होंने कहा- तमिलनाडु सरकार एक खास समुदाय को निशाना बना रही है. वे उस इलाके में कानून-व्यवस्था बिगाड़ रहे हैं. DMK सरकार सिर्फ वोट-बैंक की राजनीति कर रही है.

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