
मोदी के हनुमान और 'मंत्री पद को लात' मारने वाली जुबान...आखिर क्या कहना चाहते हैं चिराग पासवान?
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खुद को मोदी का हनुमान बताते आए चिराग पासवान मोदी सरकार 3.0 के दौरान कई मौकों पर एनडीए से अलग लाइन पर खड़े नजर आए हैं. अब तो उन्होंने एक मिनट में मंत्री पद को लात मार देने की बात कह दी है. आखिर चिराग पासवान कहना क्या चाहते हैं?
खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते आए चिराग पासवान अलग ही मोड में दिख रहे हैं. हाल के दिनों लेटरल एंट्री से कोटे के भीतर कोटा तक, कई मुद्दों पर एनडीए से अलग रुख दिखा चुके चिराग पासवान ने अब तो एक मिनट में मंत्री पद को लात मारने की बात कह दी है. पटना के एसके मेमोरियल हॉल में पार्टी के एससी-एसटी प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "चाहे किसी भी गठबंधन में रहूं, किसी भी मंत्री पद पर रहूं, जिस दिन मुझे लगेगा कि संविधान और आरक्षण के साथ खिलवाड़ हो रहा है, उसी वक्त मंत्री पद को लात मार दूंगा. जैसे मेरे पिता ने एक मिनट में मंत्री पद त्याग दिया था, उसी तरह एक मिनट में मंत्री पद त्याग दूंगा."
चिराग ने कब-कब ली एनडीए से अलग लाइन
चिराग पासवान मोदी सरकार 3.0 के गठन के बाद शुरुआती दिनों से ही तेवर दिखाते आ रहे हैं. चिराग और उनकी पार्टी इन मुद्दों पर भी एनडीए से अलग लाइन ले चुकी है. चिराग ने हाल ही में राहुल गांधी की तारीफ करते हुए उन्हें दूरदर्शी नेता बताया था और कहा था कि उनके पास विजन है.
कोटे के भीतर कोटाः अगस्त महीने की शुरुआत में कोटे के भीतर कोटा को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का चिराग ने विरोध किया था. चिराग की पार्टी जिस एनडीए में शामिल है, उसके ही घटक दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संस्थापक जीतनराम मांझी समेत कई नेता कोर्ट के फैसले का समर्थन कर रहे थे.
लेटरल एंट्रीः यूपीएससी ने केंद्र सरकार में जॉइंट सेक्रेटरी, सेक्रेटरी और निदेशक लेवल के 45 रिक्त पद लेटरल एंट्री के जरिये भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था. चिराग पासवान खुलकर इसके विरोध में उतर आए. बाद में सरकार ने यूपीएससी को पत्र लिखकर ये विज्ञापन रद्द करने का आग्रह किया.
भारत बंदः कोटे के भीतर कोटा के विरोध में विपक्षी दलों ने 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया था. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी ने भी इस बंद को समर्थन दिया था. चिराग ने कहा था कि एससी-एसटी आरक्षण का आधार आर्थिक असमानता नहीं, छुआछूत जैसी कुप्रथा है.

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