'मोदी एक कुशल राजनेता हैं', मशहूर पत्रकार फरीद जकारिया ने की प्रधानमंत्री की तारीफ
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इंडिया टुडे के पॉप-अप कॉन्क्लेव में मशहूर पत्रकार फरीद जकारिया ने प्रधानमंत्री मोदी को एक कुशल राजनेता बताया. उन्होंने मीडिया की उस भूमिका पर भी बात की जिसने पीएम मोदी के बेतहर व्यक्तित्व को पेश किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी एक चायवाला पृष्ठभूमि से आते हैं और इसलिए एक साधारण भारत से खुद को जोड़ पाते हैं.
इंडिया टुडे के इलेक्शन स्पेशल पॉप-अप कॉन्क्लेव में मशहूर पत्रकार फरीद जकारिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है. उन्होंने पीएम मोदी को सबसे कुशल राजनेताओं में से एक बताया और उनके व्यक्तित्व को उभारने में मीडिया की अहम भूमिका होने की बात कही. उन्होंने कहा कि मोदी एक चायवाला वर्ग से आते हैं लेकिन अगर देखा जाए तो उनसे पहले जितने भी प्रधानमंत्री हुए वे किसी न किसी रूप में विशिष्ट वर्ग का हिस्सा थे.
फरीद जकारिया ने कहा कि, "मैंने जितने राजनेताओं को देखा है उनमें से मोदी सबसे कुशल राजनेताओं में से एक हैं. उन्होंने अपनी सार्वजनिक धारणा को बड़ी ही कुशलता से मैनेज किया है. वह असाधारण तरीके से सरकार के संसाधनों को नियंत्रित करने में सक्षम रहे हैं, जहां कांग्रेस के किसी प्रधानमंत्री ने भी ऐसा किया था - यह याद करना मुश्किल है."
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'... तो पीएम की तस्वीर साथ मिलती है'
मशहूर पत्रकार ने इसी के साथ आगे कहा, "वैक्सीन मिलेगी तो पीएम की फोटो वाली वैक्सीन मिलेगी; अगर आपको कोई बेनिफिट मिलता है तो आपको पीएम की तस्वीर के साथ मिलता है... जहां तक मैं बता सकता हूं, मीडिया द्वारा कांग्रेस के उलट मोदी के बेहतर व्यक्तित्व को पेश करना, भारतीय इतिहास में नया और अनोखा है."
'साधारण भारत से खुद को जोड़ पाते हैं मोदी'
लगभग 37 लाख की आबादी वाले मणिपुर के इतिहास में कई घटनाएं हुई हैं. लेकिन पिछले 1 साल में मणिपुर में जो हुआ, इसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की होगी. अदालत के एक आदेश के बाद 3 मई 2023 को मणिपुर की घाटी और पहाड़ों में रहने वाले 2 समुदायों के बीच ऐसी जंग छिड़ गई थी, जिसका अभी तक अंत नहीं हो सका है. इंफाल समेत पूरी घाटी में रहने वाले मैतेई बहुल इलाकों और घाटी के चारों तरफ पहाड़ों पर रहने वाले कुकी आदिवासी बहुल इलाकों के बीच एक अनकही खाई बन गई है.
डीजीपी ने कहा, 'जब आप किसी खतरे या चुनौती के बारे में बात करते हैं तो आप देखते हैं कि यह कितना गंभीर या बड़ा है. चुनौतियां सीमा पार से आ रही हैं और टेरर हैंडलर्स ने तय किया है कि वे इस तरह की आतंकी गतिविधियां को जारी रखेंगे. वे देख रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के दिन अब गिनती के रह गए हैं क्योंकि घाटी में आतंकी ढांचे को बड़ा झटका लगा है.'