
'मैं चीन से खतरे को नहीं समझ पा रहा हूं...', सीमा विवाद में मध्यस्थता के अमेरिकी प्रस्ताव पर बोले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा
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सैम पित्रोदा ने भारत-चीन सीमा विवाद में मध्यस्थता के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा, 'मैं चीन से खतरे को नहीं समझ पा रहा हूं. मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है.'
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने सोमवार को कहा कि भारत-चीन विवाद को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है. उन्होंने कहा कि हमारे देश का रुख शुरू से ही टकराव वाला रहा है. उन्होंने ये बातें पिछले हफ्ते पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान भारत-चीन विवाद को सुलझाने के लिए ट्रंप द्वारा की गई टिप्पणी के बाद कहीं हैं. हालांकि, ट्रंप की इस पेशकश को भारत सरकार ने अस्वीकार कर दिया.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता से जब ये पूछा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन से खतरे को नियंत्रित कर पाएंगे या नहीं. इसका जवाब देते हुए उन्होंने समाचार एजेंसी से कहा, 'मैं चीन से खतरे को नहीं समझ पा रहा हूं. मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है.'
उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश आपस में सहयोग करें, टकराव नहीं. हमारा दृष्टिकोण शुरू से ही टकराव वाला रहा है और इस रवैये से दुश्मन पैदा होते हैं जो बदले में देश के अंदर समर्थन जुटाते हैं. हमें इस पैटर्न को बदलने की जरूरत है और यह मानना बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है. यह न केवल चीन के लिए बल्कि सभी के लिए अनुचित है. अब वक्त आ गया है कि हम बातचीत बढ़ाना सीखें. सहयोग करें, सहकारिता करें और सह-निर्माण करें, सिर्फ आदेश और नियंत्रण ही नहीं.
बीजेपी ने साधा निशाना
बीजेपी ने सैम पित्रोदा की आलोचना करते हुए कहा कि यह टिप्पणी भारत की पहचान, कूटनीति और संप्रभुता के लिए बहुत गहरा आघात है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पार्टी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'सैम पित्रोदा की टिप्पणी कोई अकेला बयान नहीं है. इस तरह के बयान राहुल गांधी ने पहले भी दिए हैं. कुछ समय पहले अपनी एक विदेश यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने दावा किया था कि चीन ने चुनौतियों के बावजूद बेरोजगारी के मुद्दे को हल कर लिया है, लेकिन सच्चाई यह है कि चीन की बेरोजगारी दर फिलहाल केवल 24 फीसदी है.'

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