मुख्तार अंसारी क्यों खरीदना चाहता था सेना से चुराई लाइट मशीन गन? रची थी खौफनाक साजिश
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एसटीएफ सीओ के तौर पर तैनात रहे शैलेंद्र सिंह चाहते हैं कि मुख्तार अंसारी से जुड़ा एक पुराना केस रीओपन किया जाए. असल में मुख्तार अंसारी सेना से चुराई गई LMG किसी भी कीमत पर खरीदना चाहता था. इसलिए अंसारी पर पोटा भी लगने वाला था. क्या है इस मामले की पूरी कहानी, जानिए क्या है सच?
विधायक रहे कृष्णानंद राय की हत्या से जुड़े गैंगस्टर मामले में मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा हुई है. इसी बीच मुख्तार अंसारी की वजह से अपनी नौकरी गंवाने वाले एसटीएफ के पूर्व डीएसपी रहे शैलेंद्र सिंह ने अपनी इच्छा जाहिर की है. वह चाहते हैं कि मुख्तार अंसारी के उस मामले को दोबारा खोला जाए जिसमें उन्होंने मुख्तार के खिलाफ पोटा कानून लगाया था. सवाल है कि शैलेंद्र ऐसा क्यों चाहते हैं?
इस रहस्य से पर्दा उठना जरूरी
शैलेंद्र सिंह चाहते हैं कि सेना से चुराए लाइट मशीनगन खरीदने के मुख्तार के उस मामले को दोबारा अदालत में खोला जाए ताकि उस रहस्य से भी पर्दा उठ सके कि कैसे सेना से चुराए गए हथियार मुख्तार तक पहुंचते थे. ये कहानी सिर्फ इतनी भर नही हैं कि सेना से लाइट मशीन गन चोरी हुई, इस कहानी में तीन सवाल और उनके जवाब सामने आएंगे.
पहला सवाल, आखिर कैसे, मुख्तार अंसारी पर पोटा की आंच पहुंची थी. दूसरा सवाल, कैसे तत्कालीन मुलायम सिंह की सरकार ने मुख्तार के खिलाफ पोटा को मंजूरी नहीं दी? तीसरा सवाल, मुख्तार के दबाव में शैलेंद्र सिंह को अपनी नौकरी क्यों गंवानी पड़ी
दरअसल मुख्तार अंसारी, कृष्णानंद राय की हत्या के मूल मामले से बरी हो चुका है. यह हत्याकांड नवंबर 2005 में हुआ था. इसके पहले मुख्तार ने जनवरी 2004 में ही कृष्णानंद राय को मारने के लिए सेना की एक लाइट मशीन गन को खरीदने की योजना बनाई और इसके लिए उसने 2004 में आर्मी के एक भगोड़े से चुराई गई लाइट मशीन गन खरीदने की डील भी की थी.
ये कहानी कुछ यूं शुरू होती है... तत्कालीन एसटीएफ सीओ के तौर पर शैलेंद्र सिंह वाराणसी में तैनात थे. उन्हें मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय के गैंगवार पर नजर रखने के लिए तैनात किया गया था. इसी तैनाती के दौरान शैलेंद्र सिंह ने जब मुख्तार के फोन को टेप करना शुरू किया तो एक खतरनाक कहानी सामने आई. शैलेंद्र सिंह ने वह ऑडियो रिकॉर्ड किया जिसमें मुख्तार अंसारी सेना के एक भगोड़े से लाइट मशीन गन खरीदने का डील कर रहा था.
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