
मुखबीरों की सेना, दुश्मन के किले में सेंध और 'पाताललोक' तक अटैक... नसरल्लाह के खात्मे की Inside Story
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28 सितंबर की दोपहर डेढ़ बजे दक्षिणी बेरुत के देहिय इलाक़े में जो कुछ हुआ, वो इस सिलसिले का सबसे बड़ा और सबसे भयानक हमला था. अचानक आसमान में इज़रायली एफ-35 लड़ाकू विमानों के गरजने की आवाज़ सुनाई पड़ी और इसके बाद कई धमाकों से देहिय में मौजूद हिज़्बुल्ला का हेडक्वार्टर ही ज़मींदोज़ हो गया.
Hezbollah Chief Hassan Nasrallah Death Inside Story: हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के बारे में इजरायल को जानकारी किसने दी थी? इजरायल को ये कैसे पता चला कि नसरल्लाह कब और कहां होगा? जो नसरल्लाह करीब पिछले दो दशक में कभी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया, उसके बारे में इतनी पुख्ता जानकारी इजरायल को कहां से मिली? तो इस बारे में जो खबर अब सामने आई है, उसके मुताबिक, नसरल्लाह की मुखबिरी किसी और ने नहीं बल्कि खुद ईरान के एक खुफिया एजेंट ने की थी.
28 सितंबर 2024, दोपहर 1.30 बजे, देहिय - लेबनान पिछले 12 दिनों से रह-रह कर दहल रहे लेबनान के लिए ये सुबह भी कोई अलग नहीं थी. देश के मुख्तलिफ़ हिस्सों में आसमान से बमों की बारिश का सिलसिला लगातार जारी था. लेकिन इसी कड़ी में दोपहर डेढ़ बजे दक्षिणी बेरुत के देहिय इलाक़े में जो कुछ हुआ, वो इस सिलसिले का सबसे बड़ा और सबसे भयानक हमला था. अचानक आसमान में इज़रायली एफ-35 लड़ाकू विमानों के गरजने की आवाज़ सुनाई पड़ी, लेकिन इससे पहले कि लोगों को संभलने का मौक़ा मिलता, एक के बाद एक कई धमाकों से देहिय में मौजूद हिज़्बुल्ला का पूरा का पूरा किला-नुमा हेडक्वार्टर ही ज़मींदोज़ हो गया.
हसन नसरल्लाह की मौत इन हमलों से धूल-धुएं और शोलों का ऐसा ग़ुबार उठा कि दूर से देखने वाले भी सहम गए, जो पास थे उनकी तो मानों जीते-जी रूह फनां हो गई. फिर इसके फौरन बाद सामने आई एक ऐसी ख़बर जिसने लेबनान से लेकर ईरान तक को या फिर यूं कहें कि पूरे मिडिल ईस्ट तक को हिला कर रख दिया. देहिय पर हुए इन हवाई हमलों में लेबनानी मिलिशिया ग्रुप हिज्बुल्लाह के मुखिया और इजरायल के दुश्मन नंबर वन हसन नसरल्लाह की मौत हो चुकी थी. जी हां, उसी हसन नसरल्लाह की, हिज्बुल्लाह की कमान पिछले तीस सालों से जिसके हाथों में थी और उसी नसरल्लाह की, जिसने हिज्बुल्लाह पर हुए पेजर अटैक के बाद इज़रायल से बदला लेने की धमकी दी थी. लेकिन इससे पहले कि हिज़्बुल्लाह इजरायल पर कोई बड़ा घात कर पाता, इज़रायल ने एक ही झटके में अपने सबसे बड़े दुश्मन को ढेर कर दिया.
इज़रायल को कैसे मिली सटीक और पुख्ता जानकारी? लेकिन फिर सवाल उठता है कि वो नसरल्लाह जो पिछले तीस सालों से लगातार इज़रायल को खून के आंसू रुला रहा था और वो नसरल्लाह जिसकी पिछले 18 सालों में एक भी पब्लिक अपियरेंस नहीं थी, यानी जो एक बार भी सार्वजनिक रूप से दुनिया के सामने नहीं आया, आख़िर उसी नसरल्लाह के बारे में इज़रायल को इतनी सटीक और इतनी पुख्ता जानकारी कैसे मिली? आख़िर कैसे इज़रायल को ये पता चला कि शनिवार की दोपहर को ठीक डेढ़ बजे नसरल्लाह देहिय में मौजूद हिज़्बुल्लाह के हेडक्वार्टर में पहुंचेगा? और आख़िर कैसे इज़रायल ने इस ऑपरेशन को आनन-फानन में इतने परफेक्शन के साथ अंजाम दे दिया? तो इसका श्रेय जाता है इज़रायल की ख़ुफ़िया एजेंसियों और उसके इंटेलिजेंस नेटवर्क को.
28 सितंबर 2024, दोपहर 12 बजे, बेरूत - लेबनान पिछले 11 दिनों से इज़रायल की ओर से जारी हमले के चलते तकरीबन पूरे लेबनान में अजीब सी खामोशी थी. फिज़ा में तनाव के साथ घुले बारुद की गंध को महसूस किया जा सकता था. इसी गम गुस्से और खौफ के बीच महज़ एक रोज़ पहले यानी 27 सितंबर को हुए एक हमले में हिज़्बुल्लाह के ड्रोन यूनिट के चीफ मोहम्मद हसन सरूर की मौत हो गई थी और ये भी हिज्बुल्लाह के एक बड़ा झटका था. शहर के हरेत-हरिक इलाके में उसके कफन-दफ्न की रस्में निभाई जा रही थीं. लेकिन इसी बीच आगे की प्लानिंग के लिए नसरल्लाह ने हिज़्बुल्लाह के हेडक्वार्टर का रुख करने का फैसला किया.
फ्रेंच न्यूज़ पेपर ली पेरेसियन की मानें तो इस बार इस मूवमेंट की खबर हिज़्बुल्लाह में गहरी पैठ रखने वाले ईरानी खुफिया एजेंट को वक़्त से पहले लग गई. और ये खुफ़िया एजेंट बेशक ईरान का हो, लेकिन ये काम इजरायल के लिए कर रहा था. और बस, इसी एजेंट के इस एक इनफॉरमेशन में वो काम कर दिया, जिसकी कोशिश में इजरायल करीब तीन दशकों यानी तीस सालों से लगा हुआ था.

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