
महाराष्ट्र के महा-ड्रामे में आगे क्या? गिरेगी उद्धव सरकार या बागियों पर कसेगा दल-बदल कानून का शिकंजा?
AajTak
सवाल ये है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आने वाले दिनों में और क्या नाटकीय मोड़ देखने को मिलने वाले हैं? उद्धव गुट, शिंदे गुट के पास क्या विकल्प खुले हैं, राज्यपाल क्या कर सकते हैं?
महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के लिए सत्ता में बने रहना चुनौती साबित हो रहा है. आंकड़ों के खेल में सरकार पहले ही अल्पमत में जा चुकी है. वहीं दूसरी तरफ शिंदे गुट अभी भी गुवाहाटी में जमा हुआ है. उसके समर्थन विधायकों की संख्या भी कम होने के बजाय बढ़ी है. ऐसे में अभी तक स्थिति उनके पक्ष में दिखाई पड़ती है. लेकिन सवाल ये है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आने वाले दिनों में और क्या नाटकीय मोड़ देखने को मिलने वाले हैं? उद्धव गुट, शिंदे गुट के पास क्या विकल्प खुले हैं, राज्यपाल क्या कर सकते हैं? एक नजर तमाम समीकरण पर डालते हैं-
शिंदे गुट के पास विकल्प
शिंदे गुट के पास इस समय दो विकल्प मौजदू हैं. सबसे आसान विकल्प तो ये है कि तमाम बागी विधायक किसी पार्टी से हाथ मिलाएं, बहुमत साबित करें और सरकार बना लें. अगर दो तिहाई विधायकों का समर्थन हासिल है, ऐसी स्थिति में ये गुट आसानी से खुद को दूसरी राजनीतिक पार्टी के साथ अपना विलय कर सकता है. लेकिन ये विकल्प सिर्फ तभी खुलता है अगर शिंदे गुट सही में किसी पार्टी के साथ विलय करना चाहता और सरकार बनाने की इच्छा जाहिर करता है.
लेकिन यहां पर एक पेच ये फंसता है कि अगर ये गुट दो तिहाई विधायकों का समर्थन नहीं जुटा पाए, ऐसी स्थिति दल-बदल कानून लागू हो जाएगा और ये सभी अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे. अब शिंदे गुट के पास एक और बड़ा विकल्प मौजूद है, जिसकी राह थोड़ी ज्यादा मुश्किल और चुनौतियों से भरी रह सकती है. अगर पर्याप्त समर्थन हासिल हो जाए, तो शिंदे गुट पूरी शिवसेना पर ही अपना अधिकार जमा सकता है. ऐसा करने के लिए इस गुट को ज्यादा से ज्यादा पार्टी के सदस्यों के वोट की जरूरत पड़ेगी. इसके बाद चुनाव आयोग को एक अप्लीकेशन लिख पार्टी को लेकर दावा ठोका जा सकता है.
वैसे आजतक से बात करते हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा है कि विधायकों को अयोग्य घोषित करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है, उनके पास पहले से पूरा बहुमत है. वहीं दुष्यंत दावे मानते हैं कि इस साम-दाम दंड-भेद वाली राजनीति को खत्म होना पड़ेगा. हम सिर्फ कोर्ट, और दल-बदल कानून पर निर्भर नहीं कर सकते हैं. वैसे तो जो विधायक बागी बन रहे हैं और लालच में आ रहे हैं, वो जिम्मेदार हैं, लेकिन जो उन्हें लालच दे रहा है, वो भी उतना ही जिम्मेदार है.
फ्लोर टेस्ट का विकल्प

संसद के शीतकालीन सत्र में 8 और 9 दिसंबर 2025 को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर दोनों सदनों में विशेष चर्चा होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री इस चर्चा को संबोधित करेंगे. चर्चा का उद्देश्य वंदे मातरम् के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता को उजागर करना है.

भारत-रूस बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निर्धारित किया है. राष्ट्रपति पुतिन के साथ चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि व्यापार लक्ष्य समय से पहले पूरा किया जाएगा. कई क्षेत्रों जैसे लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी, मरीन प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा, और टेक्सटाइल में सहयोग को आगे बढ़ाया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.








