भारत में रेमडेसिविर के लिए मारामारी, WHO ने कहा- कोरोना के इलाज में प्रभावी होने के सबूत नहीं
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देश में लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों के कारण रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड भी काफी बढ़ गई है. डिमांड भी इतनी बढ़ी कि कई राज्यों में इसकी कमी हो गई. स्टॉक खत्म हो गया. लेकिन इस बीच डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि रेमडेसिविर से कोरोना के ठीक होने का अब भी कोई सबूत नहीं है.
देश में एक तरफ कोरोना की रफ्तार बढ़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग भी बढ़ रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि रेमडेसिविर को कोरोना का इलाज माना जा रहा है. लेकिन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) इस बात को नहीं मानता. डब्ल्यूएचओ ने पहले भी कोरोना मरीजों के इलाज के लिए रेमडेसिविर के इस्तेमाल पर सवाल उठाए थे. अब फिर डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि रेमडेसिविर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए उपयोगी है. डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथ और कोविड के टेक्नीकल हेड डॉय मारिया वेन केरखोव ने 'इंडिया टुडे' से बातचीत में रेमडेसिविर इंजेक्शन के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर को लेकर पहले पांच ट्रायल हो चुके हैं, लेकिन रेमडेसिविर से न तो कोरोना मरीज ठीक हुए और न ही मौतें कम हुईं. उन्होंने ये भी कहा कि अभी भी एक बड़े क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों का इंतजार किया जा रहा है, जिससे पता चल सके कि क्या वाकई रेमडेसिविर कोरोना का इलाज है?करीब सवा सौ गज के एक छोटे से मकान में यह अस्पताल चल रहा था. इस मकान की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी वक्त गिर सकता है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर बिखरे मिले. इनमें से कुछ सिलेंडर के परखचे उड़े हुए थे, क्योंकि आग लगने के बाद इनमें विस्फोट हुआ था अस्पताल में लगी आग को भयावह रूप देने में इन ऑक्सीजन सिलेंडर ने भी मदद की.
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