'भारत-पाकिस्तान आपस में सुलझाएं कश्मीर मुद्दा', अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बोला चीन
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सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फैसले को संवैधानिक तौर पर वैध बताया है. साथ ही शीर्ष कोर्ट ने जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने के साथ-साथ अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का भी निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जहां एक तरफ पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है तो वहीं अब चीन ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है.
कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जहां एक तरफ पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है तो वहीं अब चीन ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है. चीन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दा बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फैसले को संवैधानिक तौर पर वैध बताया है. साथ ही शीर्ष कोर्ट ने जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने के साथ-साथ अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का भी निर्देश दिया.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने इस मुद्दे पर चीन की प्रतिक्रिया मांगने वाले एक पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "कश्मीर मुद्दे पर चीन की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है. यह भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद है और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक शांतिपूर्ण तरीकों से उचित रूप से संबोधित किया जाना चाहिए."
माओ ने कहा कि प्रासंगिक पक्षों को बातचीत और चर्चा के माध्यम से विवाद को सुलझाने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता की रक्षा करने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तिलमिलाया हुआ है पाकिस्तान
बता दें कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया. पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, "जम्मू कश्मीर का विवाद एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का विवाद है, जो सात दशकों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में शामिल है. जम्मू कश्मीर को लेकर अंतिम फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों के आकांक्षाओं के अनुसार किया जाना है. भारत को कश्मीरी लोगों और पाकिस्तान की इच्छा के विरुद्ध इस पर एकतरफा निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है.
बयान में आगे कहा गया है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर पर भारतीय संविधान की सर्वोच्चता यानी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार नहीं करता है. भारतीय संविधान के तहत किसी भी प्रक्रिया का कोई कानूनी महत्व नहीं है. घरेलू कानूनों और न्यायिक फैसलों के बहाने भारत अंतरराष्ट्रीय दायित्वों से पीछे नहीं हट सकता. जम्मू कश्मीर को अपने साथ मिलाने की उसकी साजिश निश्चित रूप से असफल होगी.
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