बीटिंग रिट्रीट समारोह से ‘एबाइड विद मी’ को हटाने में कुछ भी हैरान करने वाला नहीं है
The Wire
एक सार्वभौमिक और मानवतावादी प्रार्थना को हटाना वही संदेश देता है, जिसे 'न्यू इंडिया' सुनना चाहता है.
राजपथ पर बीटिंग रिट्रीट समारोह में बजाई जाने वाली धुनों की सूची में से ‘एबाइड विद मी’ को हटाने के फैसले से कई भारतीयों को धक्का लगा. I fear no foe, with Thee at hand to bless Ills have no weight, and tears no bitterness
सोशल मीडिया का कहना है सशस्त्र बलों के युवा मार्चरों द्वारा बजाया जाने वाला बॉलीवुड के एक गाने ने इसकी जगह ली. इस बात की कल्पना करना ही अपने आप में हद से ज्यादा पीड़ाजनक है. इसका प्रत्यक्षदर्शी बनने की क्या बात की जाए. इस गाने की जगह बैंड द्वारा कवि प्रदीप द्वारा लिखित ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना बजाया गया. ख़तर कहां किसी का अब साथ जब हो तुम मेरेन दर्द है न रंज है, न आंसुओं में टीस है
कवि प्रदीप संघ के चहेते देशभक्ति विशेषज्ञ हैं- उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था.
जैसा कि हम जानते हैं ‘एबाइड विद मी’ गांधीजी का प्रिय भजन था और बीटिंग रिट्रीट परेड की परंपरा की शुरुआत होने पर भारत सरकार ने इस भजन की धुन को सिर्फ महात्मा के सम्मान में ही इसमें नहीं जोड़ा था, बल्कि इसलिए भी जोड़ा था क्योंकि यह एक महान, पवित्र और रिट्रीट की भावना के पूरी तरह से अनुकूल भजन है.