
बिहार में हो रहे SIR पर आंध्र प्रदेश की टीडीपी को एतराज क्यों, आखिर नायडू के मन में क्या चल रहा है?
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बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया को लेकर चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है. टीडीपी को आपत्ति टाइमिंग को लेकर है, जबकि जेडीयू इसे जरूरी बता रही है - बीजेपी के दो सहयोगी दलों का ये विरोधाभास ही सवाल खड़े कर रहा है.
SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रीविजन पर जो सवाल खड़े हो रहे हैं, वे वैसे ही हैं जैसे जातिगत गणना के दौरान उठाये जा रहे थे. विपक्षी दलों को तो वैसे भी हक बनता है, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने सवाल उठाकर बिहार की राजनीति को नई दिशा दे दी है - एनडीए के बीच से ये सवाल उठाया जाना मामले की गंभीरता बता रहा है.
कांग्रेस, आरजेडी, वाम दल, JMM, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (उद्धव गुट) जैसी पार्टियों की तरफ से तो चुनाव आयोग को पहले ही पत्र लिखे जा चुके हैं - बीजेपी की सहयोगी पार्टी टीडीपी ने सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पूरी प्रक्रिया पर ही आपत्ति जता डाली है. लेकिन, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू चुनाव आयोग के कदम के समर्थन में है.
अव्वल तो टीडीपी की तरफ से ये साफ करने की कोशिश की गई है कि चुनाव आयोग को लिखे गये पत्र का बिहार चुनाव से पहले चल रही SIR प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है. टीडीपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता ज्योत्सना तिरुनागरी का कहना है, बिहार में चल रहे SIR और टीडीपी के सुझावों के बीच कोई संबंध नहीं है. कहने को तो टीडीपी का पक्ष 5 जुलाई को चुनाव आयोग की तरफ से सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को लिखे गए पत्र के बाद आए हैं, जिसमें उन्हें बिहार जैसी प्रक्रिया की तैयारी शुरू करने को कहा गया था.
वैसे तो चुनाव आयोग की तरफ से भी सफाई दी जा चुकी है. बताया गया है कि ये एक नियमित प्रक्रिया है, जिससे किसी को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि दस्तावेज देना अनिवार्य नहीं है. लेकिन जब बीएलओ दस्तावेज मांग रहे हैं, तो लोगों के मन भ्रम होता है. सीपीआई-एमएल नेता दीपांकर भट्टाचार्य इसे सामान्य प्रक्रिया नहीं मानते हैं. कहते हैं, हमें इसकी जानकारी तब मिली, जब बीएलओ घर-घर जाकर दस्तावेज मांगने लगे... आधार, जन्म प्रमाण पत्र, माता-पिता का नाम और उनके दस्तावेज भी मांगे जा रहे हैं... पूरे बिहार में इस प्रक्रिया के कारण दहशत का माहौल है - प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं और टाइमिंग पर भी, और टीडीपी की तरफ से भी उसी बात पर आपत्ति जताई गई है.
टीडीपी को किस बात से आपत्ति है
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को लिखे पत्र में तेलुगु देशम पार्टी ने कहा है, SIR का दायरा साफ तौर पर बताया जाना चाहिये. परिभाषित होना चाहिए. मतदाता सूची में सुधार और समावेश करने तक सीमित होना चाहिए. ये भी स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए ये प्रक्रिया सिटिजनशिप वेरिफिकेशन से जुड़ी नहीं है.

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