बच्चों के लिए क्यों नहीं है कोरोना वैक्सीन? एक्सपर्ट ने दिया ये जवाब
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नेशनल सेंटर फ़ॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक कोरोना के कुल मरीजों में से 4.42 फीसदी मरीज दस साल से कम वाले हैं यानी बच्चे हैं. परीक्षा देने वाले बच्चे भी चपेट में आ रहे हैं. 11 साल के बच्चे से लेकर 20 साल के युवकों का कोरोना बीमारों में हिस्सा 9.79 फीसदी है.
कोरोना काल में अब डरने वाली बात ये है कि बच्चे भी ज्यादा तादाद में इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. उनको भी टीका देने की जरूरत महसूस हो रही है. सवाल ये कि ऐसे में परीक्षा कितनी जोखिम भरी है. कोरोना की पहली लहर से बच्चे बच गये. माना गया कि उनकी इम्यूनिटी अच्छी है इसलिए उनको खतरा कम है. लेकिन दूसरी लहर के आते आते ये राय भी पलट गई. अब आंकड़े हैरान करने वाले हैं. बच्चे कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. हर बीसवां मरीज दस साल से छोटा बच्चा है. नेशनल सेंटर फ़ॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक कोरोना के कुल मरीजों में से 4.42 फीसदी मरीज दस साल से कम वाले हैं यानी बच्चे हैं. परीक्षा देने वाले बच्चे भी चपेट में आरहे हैं. 11 साल के बच्चे से लेकर 20 साल के युवकों का कोरोना बीमारों में हिस्सा 9.79 फीसदी है. इसी कैटेगरी में सारे बच्चे आते हैं. यानी बच्चे अब कोरोना से बचे नहीं रहे. एक्सपर्ट बताते हैं कि बच्चे पहले एसिम्टोमैटिक थे लेकिन अब उनमें कई लक्षण दिख रहे हैं. जैसे- नाक बंद, पेट दर्द, दस्त, गले में दर्द, थकान और सिरदर्द.'क्वेश्चनेबल मूमेंट्स एट त्रिशूर पूरम' शीर्षक वाले वीडियो में कीनन यह कह रही हैं कि 50 साल के एक व्यक्ति ने उसका यौन उत्पीड़न किया. व्लॉगर को उसे धक्का देकर दूर करना पड़ा. इस बीच केरल पुलिस ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है. हालांकि, वीडियो में एक आरोपी व्यक्ति की पहचान कर ली गई है.
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