प्रचंड ने उज्जैन में किए महाकाल के दर्शन, नेपाल में क्यों उठ रहे सवाल?
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नेपाल के प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर का दर्शन किया. यहां उन्होंने भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी किया. उनके मंदिर जाने को नेपाल में कई लोग आश्चर्य की नजर से देख रहे हैं क्योंकि यह उनकी घरेलू राजनीति के उलट है.
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं. अपनी इस यात्रा के तीसरे दिन वो मध्य प्रदेश पहुंचे हैं जहां उन्होंने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया है. माओवादी आंदोलन से निकले एक साम्यवादी नेता का मंदिर जाना नेपाल में कई लोगों के लिए चौंकाने वाला कदम है. नेपाल के कई लोगों ने उनकी आलोचना करते हुए कहा है कि मंदिर जाना उनकी कम्युनिस्ट नेता की छवि के अनुकूल नहीं है.
सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ बढ़ रहे प्रचंड?
प्रचंड का मंदिर जाना इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि उन्होंने राजशाही खत्म कर एकमात्र हिंदू राष्ट्र नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी.
डेनमार्क में नेपाल के पूर्व राजदूत प्रोफेसर विजय कांत का कहना है कि प्रचंड का अपने आधिकारिक दौरे में मंदिर जाना उनकी कम्युनिस्ट नेती की छवि को सूट नहीं करता. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, 'वो भारत में अपनी आधिकारिक यात्रा पर हैं और हमें खुशी होती अगर वो महाकाल मंदिर जाने के बजाए बिजनेस मीटिंग्स के लिए मुबंई या हैदराबाद जाते. नेपाल की अर्थव्यवस्था को विकास की जरूरत है और उनका फोकस इसी पर होना चाहिए था.'
नेपाली व्यापार संगठन के एक सदस्य का कहना है, 'हमें खुशी होती अगर वो किसी धार्मिक स्थल पर जाने के बजाए बिजनेस मीटिंग्स के लिए जाते, वो तो एक कम्यूनिस्ट नेता भी हैं.'
हालांकि, जवाहर लाल विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ प्रोफेसर महेंद्र पी लामा कहते हैं कि उनका मंदिर जाना कोई हैरान करने वाली बात नहीं है.
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