
पोटली में अस्थियां, तारीख पर तारीख और फैसले का इंतजार... आखिर कब मिलेगा अतुल सुभाष को इंसाफ?
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बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की मौत को एक साल पूरा हो गया है, पर इंसाफ की पहली सुनवाई अब शुरू हो रही है. लाल पोटली में बंद उसकी अस्थियां अब भी फैसले का इंतज़ार कर रही हैं. पढ़ें पूरी कहानी.
Atul Subhash Suicide Case Justice Delayed: एक मर चुके इंसान की आखिरी ख्वाहिश लाल रंग के कपड़े की पोटली में बंद है. साल पूरा होने को आ रहा है. मगर वो पोटली अब भी एक घर के कोने में पड़ी उस इंसाफ का इंतज़ार कर रही है, जो इंसाफ अभी अपना पहला कदम भी नहीं उठा पाया है. मामला है अतुल सुभाष का. ये नाम तो याद होगा आपको. बिहार का रहने वाला और बेंगलुरु में काम करने वाला वही सॉफ्टवेयर इंजीनियर, जिसकी खुदकुशी ने साल भर पहले दिसंबर के इसी महीने में पूरे देश में एक सवाल और बहस छेड़ दी थी.
वही अतुल सुभाष जिसने 24 पन्नों के अपने सुसाइड नोट और 81 मिनट के सुसाइड वीडियो में अपनी आखिरी ख्वाहिश जताई थी कि उसकी अस्थियों को संभाल कर रखा जाए. तब तक जब तक उसे अदालत से इंसाफ नहीं मिल जाता. और अगर अदालत उसे इंसाफ नहीं दे पाती है तो उसकी अस्थियों को उसी अदालत के बाहर के किसी गटर में बहा दिया जाए.
बस अतुल की इसी एक आखिरी ख्वाहिश को पूरी करने के लिए उसकी अस्थियों को एक कलश में बंद कर घर के एक कोने में घर वालों ने रख दिया है. 9 दिसंबर 2024 को अतुल की मौत हुई थी और दिसंबर 2025 शुरू हो चुका है. यानी अतुल की मौत को एक साल पूरा होने जा रहा है. मगर क्या आप जानते हैं कि अतुल के इंसाफ की लड़ाई अभी कहां तक पहुंची है?
आप शायद यकीन नहीं करेंगे. मगर आज यकीन करना होगा. साल बीच जाने के बावजूद अतुल की अस्थियों को आज भी अपने मुकदमे की पहली सुनवाई का इंतज़ार है. जी हां. पहली सुनवाई का. वो भी साल भर बाद. सिर्फ इस केस की चाल देखिए और चौंकते जाएंगे. जिस अतुल की मौत के 90 दिनों बाद कायदे से कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हो जानी चाहिए थी. वो चार्जशीट मौत के 11 महीने बाद 6 नवंबर 2005 को कोर्ट में दायर होती है. और जानते हैं इसके बाद क्या होता है?
कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होने के बाद पहली हीयरनिंग पहली सुनवाई की तारीख पूरे एक साल बाद 20 नवंबर 2026 की देती है. जी हां. नवंबर 2026 की. यकीन ना हो तो कोर्ट के कागज देख लीजिए और उस पर लिखी तारीख. बेंगलुरु के मेयो हॉल के एडिशनल चीफ मेट्रोपोलटन मजिस्ट्रेट के कोर्ट का फरमान सात नवंबर 2025 को जारी किया गया था. यानी कायदे से कोर्ट में पहली हीयरिंग की तारीख एक साल और दो हफ्ते बाद की दी गई.
अतुल की मौत दिसंबर 2024 में हुई थी. साल भर बाद नवंबर 2025 में चार्जशीट दाखिल होती है. और फिर पहली सुनवाई की तारीख एक साल बाद नवंबर 2026 की दी जाती है. ये खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर आई लोग हैरान रह गए. बात कर्नाटका की उस अदालत तक जा पहुंची जिन्होंने लेटलतीफी की इतेहा कर दी थी. फिर कोर्ट ने थोड़ी रियायत बख्शी कहा- ठीक है नवंबर 2026 दूर है तो चलो मार्च 2026 में पहली सुनवाई कर लेते हैं. फिर लगा ये भी बहुत दूर है तो आखिरकार अब नई तारीख आई है. अतुल सुभाष की मौत के एक साल बाद मुकदमे की पहली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर 2025 यानी तीन दिन बाद की तारीख मुकर्रर हुई है.

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