
'पर्यटन के नाम पर धार्मिक स्थल का अपमान बर्दाश्त नहीं', सम्मेद शिखरजी बचाओ आंदोलन में शामिल हुए AAP नेता संजय सिंह
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झारखंड सरकार ने जैन समाज के तीर्थ राज सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने का निर्णय लिया है. हालांकि पिछले कई दिनों से जैन समाज इस फैसले का विरोध कर रहा है. इस विरोध को अब राजनीतिक पार्टियों का भी समर्थन मिलने लगा है. आम आदमी पार्टी और भारतीय किसान यूनियन गुरुवार को उनके साथ खड़े नजर आए. उन्होंने सरकार से अपना फैसला वापस लेने की मांग की है.
झारखंड के गिरिडीह में जैन समाज के सबसे बड़े तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के फैसला का विरोध तेज होता जा रहा है. अब विरोध में आम आदमी पार्टी भी शामिल हो गई है. AAP सांसद संजय सिंह गुरुवार को इस प्रदर्शन में शामिल हुए. उन्होंने ट्वीट किया- जैन समाज के मुख्य आस्था के केंद्र श्री सम्मेद शिखर जी को केंद्र सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के फैसले के खिलाफ पूरा जैन समाज आंदोलित है. पर्यटन के नाम पर धार्मिक स्थल का अपमान स्वीकार नहीं. आंदोलन में शामिल हुआ. अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी जैन समाज के साथ है.
झारखंड सरकार अपना फैसला वापस ले: टिकैट
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश ने कहा कि यह ऋषि-कृषि का देश है. दोनों ही चीज देश में बची रहनी चाहिए क्योंकि दोनों के मेल से ही यह देश चलता है. आज भी जैन समाज के लोग गांवों में रहते हैं. यह समाज सूर्यास्त के बाद अन्न तक नहीं खाता लेकिन श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के बाद वहां रात में मांस भी खाया जाएगा और वाइन भी पी जाएगी. इसलिए मैं झारखंड सरकार से मांग करता हूं कि वह अपना फैसला वापस ले.
राज्यपाल ने केंद्रीय मंत्री को लिखा है पत्र
झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने इस मामले में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को भी पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने मांग की कि जैन धर्म के पवित्र स्थल सम्मेद शिखर जी को तीर्थ स्थल ही रहने दिया जाए. यह मामला जैन समाज की भावनाओं से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय ने इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित कर इको सेंसिटिव जोन में रखा है. झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित किया है. यह जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. उनका मानना है कि इससे इस क्षेत्र की पवित्रता भंग होगी.

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