देश में थम रही कोरोना की रफ्तार, सक्रिय मामलों में आई कमी, जानिए राज्यों का हाल
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दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 70813 टेस्ट हुए हैं. इस दौरान कोरोना के 623 नए मामले दर्ज किए गए हैं. बीते 24 घंटे में राजधानी में कोरोना के चलते 62 मरीजों की मौत हुई है.
देश में कोरोना वायरस के नए मामलों की रफ्तार अब थमने लगी है. देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस के नए मामलों में लगातार गिरावट देखी जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 531 जिलों में अप्रैल 28 से चार मई तक रोजाना 100 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे थे. 10 मई के बाद से सक्रिय मामलों में 18 लाख से ज्यादा की कमी देखी गई है. पिछले तीन सप्ताह में भारत में कोरोना टेस्टिंग तेजी से बढ़ाई गई है लेकिन इस दौरान भी संक्रमण दर में कमी देखी गई है. भारत में संक्रमण दर 8.31 प्रतिशत है. भारत में अब डेली पॉजिटिविटी रेट 6.62 प्रतिशत है. यह अप्रैल 21 के बाद से न्यूनतम है. दिल्ली में 623 नए मामले राज्यवार आंकड़ों की बात करें तो दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 70813 टेस्ट हुए हैं. इस दौरान कोरोना के 623 नए मामले दर्ज किए गए हैं. बीते 24 घंटे में राजधानी में कोरोना के चलते 62 मरीजों की मौत हुई है. इस दौरान 1423 लोग ठीक हुए हैं. दिल्ली में संक्रमण दर घटकर 0.88% हो गई है. दिल्ली में फिलहाल कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 10178 है. यहां 4888 मरीज होम आइसोलेशन में हैं.आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल ने एक इंटरव्यू में दिल्ली के सीएम हाउस में उनके साथ हुई बदसलूकी के बारे में खुलकर बताया. स्वाति मालीवाल ने कहा कि विभव कुमार आए और मुझे 7-8 थप्पड़ मारे. मुझे घसीटा. इस दौरान मेरा सिर टेबल से भी जा टकराया. मैं मदद के लिए बहुत चिल्लाई लेकिन बचाने के लिए कोई नहीं आया.
स्वाति मालीवाल ने कहा, 'विभव ने मुझे 7-8 थप्पड़ पूरी जोर से मारे. जब मैंने उन्हें पुश करने की कोशिश की तो उन्होंने मेरा पैर पकड़ लिया और मुझे नीचे घसीट दिया, उसमें मेरा सिर सेंटर टेबल से टकराया. मैं नीचे गिरी और फिर उन्होंने मुझे लातों से मारना शुरू किया. मैं बहुत जोर-जोर से चीख-चीखकर हेल्प मांग रही थी लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया.'
राहुल गांधी लगातार जिस तरह कांग्रेस पार्टी और अपने पूर्वजों को घेर रहे हैं उससे क्या कांग्रेस का नुकसान नहीं हो रहा है? पर इसे इतने साधारण रूप में भी नहीं लिया जा सकता है. हो सकता है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितना बेहतर कम्युनिकेटर न हों, बेहतर संगठनकर्ता न हों पर ऐसा भी नहीं हैं कि उन्हें रणनीतिकार के तौर पर भी खारिज कर दिया जाए.