दस साल चली कानूनी लड़ाई, तब जाकर कोयला खदान के कर्मचारी की विधवा को SC से मिला पेंशन का अधिकार
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पति की मौत के बाद उसकी पत्नी ने पेंशन का अधिकार पाने के लिए दस साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी. हिम्मत और हौसले के साथ वह सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची और अंतत: जीत हासिल हुई.
एक दशक से भी अधिक समय से कोर्ट कचहरियों के चक्कर काटकर पेंशन के लिए लड़ रही एक मृतक कर्मचारी की विधवा को पेंशन देने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने इस आदेश के साथ उसकी लड़ाई को जीत के साथ विराम दे दिया है. जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कहा कि पेंशन लंबे समय तक सेवा करने के बाद दिया गया मुआवजा है. यह एक कर्मचारी को मिलने वाला संपत्ति की प्रकृति का ही कठिन लाभ है.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.