
'दलितों को बांटने की कोशिश...', हरियाणा में कोटे के अंदर कोटा लागू होने पर भड़कीं बसपा सुप्रीमो मायावती
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नायब सैनी सरकार ने राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करते हुए अनुसूचित जाति आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे का फैसला लागू किया है. हालांकि इस फैसले पर बसपा सुप्रीमो और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने नाराजगी जताई है. इसी साल 1 अगस्त को CJI की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने अनुसूचित जातियों के उपवर्गीकरण की अनुमति दी थी, ताकि अनुसूचित जातियों के भीतर अधिक पिछड़े समूहों के लिए अलग से कोटा प्रदान किया जा सके.
हरियाणा में तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ है. नायब सिंह सैनी दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं. उन्होंने पद संभालने के साथ ही बड़े फैसले लेना शुरू कर दिया है. इस क्रम में नायब सैनी सरकार ने राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करते हुए अनुसूचित जाति आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे का फैसला लागू किया है. हालांकि इस फैसले पर बसपा सुप्रीमो और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने नाराजगी जताई है.
मायावती ने इस फैसले के जरिए दलितों को बांटने का आरोप लगाया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक के बाद एक पोस्ट करते हुए कहा, "हरियाणा की नई बीजेपी सरकार द्वारा एससी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने अर्थात आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड़यंत्र. यह दलित विरोधी ही नहीं बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है."
बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा, "हरियाणा सरकार को ऐसा करने से रोकने के लिए बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के आगे नहीं आने से भी यह साबित है कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी आरक्षण को पहले निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और अन्ततः इसे समाप्त करने के षडयंत्र में लगी है, जो घोर अनुचित व बीएसपी इसकी घोर विरोधी है. वास्तव में जातिवादी पार्टियों द्वारा एससी-एसटी व ओबीसी समाज में ’फूट डालो-राज करो’ व इनके आरक्षण विरोधी षड़यंत्र आदि के विरुद्ध संघर्ष का ही नाम बीएसपी है. इन वर्गों को संगठित व एकजुट करके उन्हें शासक वर्ग बनाने का हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा."
सुप्रीम कोर्ट ने क्या सुनाया था फैसला
बता दें कि इसी साल 1 अगस्त को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने अनुसूचित जातियों के उपवर्गीकरण की अनुमति दी थी, ताकि अनुसूचित जातियों के भीतर अधिक पिछड़े समूहों के लिए अलग से कोटा प्रदान किया जा सके. फैसला सात जजों की पीठ ने 6-1 बहुमत से सुनाया था.
क्या होता है कोटा के भीतर कोटा?

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