झारखंडः JMM के 'हेमंत नहीं तो कौन?' नारे पर घमासान, बीजेपी बोली- नैरेटिव सेट करने की कोशिश
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झारखंड मुक्ति मोर्चा की कुछ जिला इकाइयों ने अपने ट्विटर हैंडल की प्रोफाइल फोटो बदल दी है. नई प्रोफाइल फोटो पर ये स्लोगन लिखा है- हेमंत नहीं तो कौन? इस स्लोगन को जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से इसे हेमंत सोरेन को पार्टी का नेतृत्व करने के लिए एकमात्र विकल्प बताया जा रहा है. वहीं, बीजेपी ने भी इसे लेकर झारखंड की सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
झारखंड की सत्ता पर काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक नारे से नई बहस शुरू हो गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक स्लोगन को लेकर सूबे में सियासी घमासान शुरू हो गया है. इस स्लोगन को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के अपने तर्क हैं तो वहीं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सत्ताधारी दल पर हमलावर हो गई है.
दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा की कुछ जिला इकाइयों ने अचानक अपने ट्विटर हैंडल की प्रोफाइल फोटो बदल दी. पार्टी ने जो नई प्रोफाइल फोटो लगाई है, उसमें एक सवाल है- हेमंत नहीं तो कौन? इसी को लेकर झारखंड की राजनीति में उबाल आ गया है. आलोचक ये सवाल उठा रहे हैं कि क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि हेमंत सोरेन जितना अच्छा कौन हो सकता है या पार्टी अब कुछ और सोच रही है.
स्लोगन को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी बयान आ गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद पांडेय ने कहा है कि प्रोफाइल फोटो बदलने के पीछे साफ संदेश है कि हेमंत सोरेन ही पार्टी का नेतृत्व करने के लिए एकमात्र विकल्प हैं. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि 'हेमंत नहीं तो कौन' नारे का इस्तेमाल किया गया.
झारखंड मुक्ति मोर्चा शिबू सोरेन के बाद अब हेमंत सोरेन के नेतृत्व को स्थापित करने की कोशिश में है और इसीलिए पार्टी की ओर से ये नारा दिया गया है. वहीं, दूसरी तरफ इसे लेकर विपक्षी बीजेपी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा पर हमला बोल दिया है. बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर सत्ताधारी दल को परिवारवाद के मसले पर घेरा है.
परिवारवादी पार्टियां बनाती हैं नैरेटिव- बीजेपी
बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा है कि परिवारवाद से ग्रस्त पार्टियां हमेशा एक पॉलिटिकल नैरेटिव सेट करने की कोशिश करती हैं. वंशवाद से उपजे नेताओं को मसीहा बताया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि एक धारणा ये भी बनाई जाती है कि उस मसीहा के अलावा कोई भी सत्ता में बैठने के काबिल नहीं है. बाबूलाल मरांडी ने 'हेमंत नहीं तो कौन?' को इसी का उदाहरण बताया.
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