ज्ञानवापी विवाद में PFI की एंट्री, याचिका को बताया गलत
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ज्ञानवापी विवाद को लेकर पीएफआई ने कहा है कि हम किसी भी कार्रवाई का विरोध करेंगे. पीएफआई ने याचिका को गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं.
वाराणसी की ज्ञानवापी और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के विवाद में अब कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) भी खुलकर सामने आ गया है. पीएफआई ने ज्ञानवापी मस्जिद पर किसी भी कार्रवाई का विरोध करने का ऐलान कर दिया है. पीएफआई ने सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि अदालत को काशी-मथुरा पर याचिका मंजूर नहीं करनी चाहिए.
प्रतिबंधित संगठन सिमी के फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन पीएफआई ने ज्ञानवापी मस्जिद में वजूखाने के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगाए गए प्रतिबंध को भी निराशाजनक बताते हुए कहा है कि कोर्ट 1991 के वर्शिप एक्ट का ध्यान रखते हुए याचिका स्वीकार न करे. पीएफआई ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकार के साथ ही असम पुलिस पर अत्याचार करने का आरोप लगाया है. PFI ने कहा है कि जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार है, वहां मुसलमान निशाने पर हैं.
केरल में जिलाध्यक्ष की गिरफ्तारी पर भड़का PFI
PFI 21 मई को केरल के Alappuzha जिले में आयोजित 'सेव द रिपब्लिक' कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण और नारेबाजी के मामले में जिलाध्यक्ष नवास वंदनम की गिरफ्तारी पर भी भड़क गया है. संगठन ने इसे एकतरफा कार्रवाई बताते हुए कहा है कि इससे अराजकता बढ़ेगी. केरल पुलिस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रभाव बढ़ रहा है. पीएफआई की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि आयोजन में संघ के आतंक के खिलाफ नारे लगे थे. ये नारे बच्चों को हमने लिखकर नहीं दिए थे, उन्होंने खुद लगाए थे.
नवास वंदनम को तुरंत रिहा करने की मांग
PFI के केरल अध्यक्ष सीपी मोहम्मद बशीर की ओर से जारी बयान में आरोप लगाया गया है कि प्रदेश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत और हिंसा भड़काने वाले कई भाषण पिछले कुछ साल में हुए हैं. कुछ हिंदूवादी नेताओं के नाम गिनाते हुए पीएफआई ने आरोप लगाया है कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे और हिंसा के लिए उकसाने वाले भाषण दिए गए लेकिन पुलिस ने किसी भी मामले में तुरंत कार्रवाई नहीं की. ऐसा लग रहा है जैसे इन्हें मुसलमानों को निशाना बनाने वाले अभियान को अंजाम देने के लिए पूरी छूट दी गई है. पीएफआई ने नवास वंदनम को तुरंत रिहा किए जाने की मांग की है.
उत्तर प्रदेश में मतदान कम हुआ है, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है. चुनाव आयोग के अनुसार, वोटिंग कम हुई है, लेकिन इसके बावजूद, नेताओं के दावे बढ़ गए हैं. उत्तर प्रदेश, जहां देश की सबसे अधिक सीटें हैं, वहां आठ सीटों पर मतदान हुआ है. यहीं नहीं, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नए रिकॉर्ड बनने की संभावना है. इसके अलावा, मोदी सरकार की वापसी की उम्मीदों का दावा भी किया गया है.
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत सबसे ज्यादा वोटिंग त्रिपुरा में 80.17 फीसदी हुई. इसके बाद पश्चिम बंगाल में 77.57 प्रतिशत, मेघालय में 74.21 प्रतिशत, पुडुचेरी में 73.50 प्रतिशत और असम में 72.10 प्रतिशत मतदान हुआ. अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव के लिए भी वोटिंग हुई. पहले चरण में कई प्रमुख नेताओं और हस्तियों ने भी वोट डाला, जिनमें कांग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदंबरम, उनके बेटे और शिवगंगा उम्मीदवार कार्ति चिदंबरम, अभिनेता रजनीकांत, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके सुप्रीमो एमके स्टालिन शामिल हैं.