जितने दल, उतने एजेंडे... पटना में विपक्ष के महाजुटान में जा रही पार्टियां क्या-क्या चाहती हैं?
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पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में जितनी पार्टियां शामिल होने जा रही हैं, उतने एजेंडा हैं. कोई हिडन एजेंडा लेकर जा रहा है तो कोई इसे लेकर मुखर है. पटना महाजुटान में शामिल होने जा रही पार्टियों में से कौन क्या चाहता है?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की कवायद अब बड़े पड़ाव पर पहुंच चुकी है. विपक्षी दलों की पटना में बहुप्रतीक्षित बैठक के लिए मंच तैयार है. केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के खिलाफ विपक्षी दलों को कैसे एकजुट किया जा सकता है? इस महाजुटान में इसी बात पर चर्चा होनी है.
बैठक से पहले आयोजक जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने ये साफ कह दिया है कि अभी बस इस बात पर चर्चा होगी कि सभी दल कैसे साथ आ सकते हैं. नीतीश कुमार के संबोधन से बैठक की शुरुआत होगी. नीतीश विपक्षी एकजुटता की भूमिका प्रस्तुत करेंगे और इसके बाद विपक्षी एकजुटता की राह कैसे तैयार की जा सकती है, इस पर राहुल गांधी अपनी बात रखेंगे.
इस बैठक में 17 दलों के नेताओं के शामिल होने की बात है. विपक्षी महाजुटान से पहले कुछ नेताओं की ओर से जिस तरह के बयान सामने आए हैं, उसके बाद सवाल ये है कि क्या एकजुटता के एजेंडे पर हो रही ये बैठक 'ऑफिशियल एजेंडे' तक सीमित रह पाएगी? इस बैठक में आयोजक नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अलावा 15 दलों के नेता मौजूद रहेंगे.
बैठक के आयोजकों से लेकर शामिल होने जा रही पार्टियों तक, सबका अपना-अपना एजेंडा, अपनी-अपनी शर्तें भी सामने आने लगी हैं. कोई अपने एजेंडे को लेकर मुखर है तो कोई मौन. जेडीयू के कार्यकर्ता नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताते हुए नारेबाजी कर रहे हैं तो वहीं आरजेडी कार्यकर्ताओं को इस पूरी कवायद में तेजस्वी यादव की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी नजर आ रही है.
AAP का एजेंडा अध्यादेश
कांग्रेस के नेताओं को इसमें यूपीए के विस्तार की कवायद नजर आ रही है तो वहीं बाकी दलों का भी अपना-अपना एजेंडा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि पहले अध्यादेश पर बात होगी. वहीं, सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि कांग्रेस दिल्ली और पंजाब में हमारे खिलाफ चुनाव ना लड़े, हम मध्य प्रदेश और राजस्थान में नहीं लड़ेंगे. आम आदमी पार्टी अपनी मजबूत पकड़ वाले दिल्ली और पंजाब में किसी भी तरह के समझौते के मूड में नहीं है.
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