चुनाव खर्च की सीमा तय, फिर भी पानी की तरह पैसा कैसे बहा लेती हैं राजनीतिक पार्टियां
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कानूनन उम्मीदवार के चुनावी खर्च की सीमा तो है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के खर्चे पर कोई पाबंदी नहीं है. हर उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में 95 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर क्यों राजनीतिक पार्टियों के खर्चे पर कोई पाबंदी नहीं है.
राजनीतिक पार्टियों के लिए एक-एक सीट और एक-एक वोट की कीमत होती है और यही वोट अपने पाले में लाने की जद्दोजहद में वो पानी की तरह पैसा बहाती हैं. अपने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारती हैं. इस चुनाव में भी बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, तो कांग्रेस के लिए राहुल गांधी को ये रुतबा हासिल है.
मोदी और राहुल दोनों ही एक दिन में कई-कई रैलियां, रोड शो कर रहे हैं. कभी-कभार तो एक ही दिन में तीन-तीन चार-चार राज्यों में ये रैलियां या रोड शो होते हैं और इन सबके लिए होता है करोड़ों का खर्च. ये खर्च करती हैं राजनीतिक पार्टियां. जिस उम्मीदवार के समर्थन में ये स्टार प्रचारक रैलियां या रोड शो करते हैं, उनके खर्च में इसे नहीं जोड़ा जाता. इसकी एक वजह ये भी है कि चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के खर्च की तो एक लिमिट तय कर रखी है, लेकिन पार्टियों के खर्च पर कोई पाबंदी नहीं है.
यही वजह है कि भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव दुनिया के सबसे महंगे चुनाव होते जा रहे हैं. बीते आम चुनावों में जितना खर्च हुआ है, वो कई देशों की जीडीपी के बराबर है. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज का अनुमान है कि इस बार आम चुनाव में 1.20 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. अगर ऐसा होता है तो ये दुनिया का अब तक का सबसे महंगा चुनाव होगा.
उम्मीदवारों के खर्च की सीमा
आपने 'लेवल प्लेइंग फील्ड' तो सुना होगा, जिसका मतलब है सभी को समान अवसर मिलना. इसे ध्यान में रखते ही चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के चुनावी खर्च पर कैप लगा रखी है. आजाद भारत में जब 1951-52 में पहला आम चुनाव हुआ था, तब उम्मीदवारों के खर्च की सीमा 25 हजार रुपये थी. लेकिन तब से अब तक ये सीमा कई गुना बढ़ चुकी है.
अभी लोकसभा चुनाव में हर उम्मीदवार 95 लाख रुपये तक और विधानसभा चुनाव में 40 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है. हालांकि, कुछ छोटे राज्यों में ये सीमा लोकसभा चुनाव के लिए 75 लाख और विधानसभा चुनाव के लिए 28 लाख रुपये है. 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त हर उम्मीदवार 70 लाख रुपये तक खर्च कर सकता था.
aajtak e-चुनाव के सर्वे में करीब सवा लाख लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से लगभग 73% लोगों ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को लगातार तीसरी बार सत्ता में देखने की इच्छा जताई जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक को लगभग 23% वोट मिले. करीब 4 फीसदी वोट अन्य को मिले. अगर इन वोटों को सीटों में बांट दिया जाए तो एनडीए को 397 सीटें मिलने का अनुमान है.