
चीन की दादागीरी का The End? इन 14 देशों ने मिलाया हाथ, ड्रैगन को घेरने का प्लान तैयार!
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इस समझौते के लिए बीते हफ्ते के आखिर में डेट्रायट में IPEF देशों की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक हुई. इसमें समूह ने एक IPEF सप्लाई चेन काउंसिल, सप्लाई चेन क्राइसिस रिस्पॉन्स नेटवर्क और लेबर राइट एडवाइजरी नेटवर्क स्थापित करने पर सहमति जताई है.
दुनियाभर में अपनी चौधराहट जमाकर दबदबा बढ़ाने की फिराक में लगे चीन को जोर का झटका लगने जा रहा है. एक तरफ जहां छोटे और कमजोर देशों को कर्ज जाल में फंसाकर चीन ने कंगाली के कगार पर खड़ा कर दिया है. वहीं प्रशांत महासागर से लेकर बॉर्डर और आर्थिक गलियारों के जरिए अपनी घुसपैठ बढ़ाकर गैर कानूनी गतिविधियों को अंजाम देने वाले चीन के मंसूबे अब फेल होने जा रहे हैं. चीन की इन हरकतों को रोकने के लिए 14 देशों ने मिलकर एक समझौता किया है.
चीन को चुनौती देगा 14 देशों का गुट ये समझौता ड्रैगन पर निर्भरता घटाने के साथ साथ भविष्य में आने वाले सप्लाई चेन के संकटों को भी खत्म करने का काम करेगा. इसके लिए अमेरिका और भारत समेत इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) के 14 भागीदार देशों ने एक करार किया है. ये करार सप्लाई चेन को बिना रोकटोक जारी रखने के मकसद से किया गया है. इस समझौते के लिए बीते हफ्ते के आखिर में डेट्रायट में IPEF देशों की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक हुई. इसमें समूह ने एक IPEF सप्लाई चेन काउंसिल, सप्लाई चेन क्राइसिस रिस्पॉन्स नेटवर्क और लेबर राइट एडवाइजरी नेटवर्क स्थापित करने पर सहमति जताई है.
ग्लोबल GDP में इन 14 देशों की 40% हिस्सेदारी IPEF ने कारोबार, क्लीन इकॉनमी और फ्रेमवर्क के फेयर इकॉनमी के पिलर्स की ग्रोथ पर भी जोर दिया है. क्लीन इकॉनमी के फ्रेमवर्क के तहत सदस्य देशों ने एक क्षेत्रीय हाइड्रोजन पहल स्थापित करने पर सहमति जताई है. IPEF देशों का ये कदम इस लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि ये देश ग्लोबल GDP के 40 फीसदी और वैश्विक वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार के 28 परसेंट का प्रतिनिधित्व करते हैं.
चीन की धौंस को खत्म करेगा IPEF वहीं चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जरिए पहले से ही कई एशियाई पड़ोसी मुल्कों पर धौंस जमाता रहा है. BRI ने कई मामलों में फायदा पाने वाले देशों को पीछे धकेला है और उन्हें दिवालियापन तक पहुंचा दिया है. हालांकि चीन की क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी यानी RCEP की इस इस चाल को भारत ने पहले ही भांप लिया था और उससे अलग रहने का समझदारी भरा फैसला किया था. चीन की सबसे बड़ी चिंता एशिया में भारत के प्रभाव को सीमित करना और दुनिया पर असर करने वाले भारत की वैश्विक शक्ति बनने की किसी भी महत्वाकांक्षा को रोकना है.
क्वॉड प्लस की पहल है IPEF अमेरिका और यूरोपीय यूनियन इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण पर खुली, पारदर्शी और नियम-आधारित सोच चाहता है जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. IPEF चीन के बढ़ते दबदबे को रोकने के लिए अमेरिका ने एशिया में लॉन्च किया था. ये क्वॉड प्लस की पहल है. इसके जरिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करना है. इस मंच के जरिए सभी देश आपस में सप्लाई चेन बनाकर चीन को बिल्कुल अलग-थलग करना चाहते हैं. IPEF में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, वियतनाम और अमेरिका शामिल हैं.

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