
चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने से बिहार के राजनीतिक समीकरणों पर क्या फर्क पड़ेगा?
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केंद्रीय मंत्री होते हुए चिराग पासवान का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी उनकी दूरगामी रणनीति का हिस्सा लगता है, और ये वहां के राजनीतिक समीकरणों को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है. चिराग पासवान का नया एजेंडा नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है.
चिराग पासवान भी प्रशांत किशोर की ही तरह बिहार की राजनीति में काफी स्कोप देख रहे हैं. प्रशांत किशोर बिहार में बदलाव की बात कर रहे हैं, और चिराग पासवान बिहार को पिछड़े राज्य वाली कैटेगरी से उठाकर तरक्की कर रहे देश के दूसरे राज्यों के बराबर लाने की बात कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री होते हुए भी चिराग पासवान बार बार बता रहे हैं कि वो बिहार की ही राजनीति करना चाहते हैं, क्योंकि ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के नारे में जो सपना देख रहे हैं, वो दिल्ली में बैठकर पूरा नहीं हो सकता है - और ये स्टैंड उनके पिता राम विलास पासवान से पूरी तरह अलग है.
छत्तीसगढ़ में एक निजी कार्यक्रम में रायपुर पहुंचे चिराग पासवान कहते हैं. मैं चाहता हूं कि मेरा बिहार विकसित राज्य की श्रेणी में बराबरी पर आकर खड़ा हो… तीसरी बार सांसद बनने के बाद मुझे एहसास हो रहा है कि दिल्ली में रहकर ये संभव नहीं है… ऐसे में ये इच्छा मैंने पार्टी के सामने रखी है कि अब मैं जल्द बिहार वापस जाना चाहता हूं… अगर पार्टी चाहेगी, तभी ऐसा होगा.
एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में चिराग पासवान ने बताया, छत्तीसगढ़ में धीरे-धीरे संगठन मजबूत कर रहे हैं… बिहार से निकलकर धीरे-धीरे कई राज्यों में पार्टी का विस्तार कर रहे हैं… नगालैंड में दो विधायक और झारखंड में एक विधायक है… आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश, पंजाब और छत्तीसगढ़ में भी पार्टी का मजबूती से विस्तार हो सके, इस सोच के साथ काम करेंगे.
कैसी है बिहार चुनाव की तैयारी?
जिस तरह चिराग पासवान और उनकी पार्टी बिहार चुनाव की तैयारी कर रही है, दो तरह की बातें नजर आ रही हैं.

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