चट मंगनी, पट ब्याह की तरह अब 'झट तलाक' भी संभव, समझें क्या हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मायने?
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तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया. इसके बाद आपसी सहमति से तलाक लेने वालों को 6 महीने का इंतजार नहीं करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर शादी इस हद तक पहुंच जाए, जहां सुलह की गुंजाइश न हो तो इस आधार पर अदालत तलाक की मंजूरी दे सकती है.
चट मंगनी, पट ब्याह के बाद अब 'झट से तलाक' भी संभव है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि अगर पति-पत्नी के बीच रिश्ते इस कदर टूट चुके हैं कि ठीक होने की गुंजाइश न बची हो तो इस आधार पर वो तलाक की मंजूरी दे सकता है.
जबकि, अभी तक ऐसा होता था कि तलाक के लिए पति-पत्नी को 6 महीने तक इंतजार करना पड़ता था. लेकिन अब ऐसे मामलों में फैमिली कोर्ट की बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट से तलाक लिया जा सकता है.
जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की संवैधानिक इस पर सुनवाई कर रही थी. इस मामले में बेंच ने पिछले साल 29 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
क्या था मामला?
- दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के सामने कई याचिकाएं दायिर हुई थीं, जिसमें कहा गया था कि क्या आपसी सहमति से तलाक के लिए भी इंतजार करना जरूरी है?
- याचिकाएं में मांग की गई थी कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13B के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए जरूरी वेटिंग पीरियड में छूट दी जा सकती है या नहीं? ये मामला 29 जून 2016 को संवैधानिक बेंच के पास गया था.
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