
'घर बैठेंगे तो खाएंगे क्या', वायु प्रदूषण के चलते लागू सख्तियों ने दिहाड़ी मजदूरों को किया बेहाल
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दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर कई तरह की सख्तियां और पाबंदियां लगाई गई हैं. इन पाबंदियों का सबसे बुरा असर निर्माण कार्यों में लगे दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रहा है, जिनकी जिंदगी अब ठहर सी गई है. जो श्रमिक रोजी-रोटी के लिए दैनिक कमाई पर निर्भर हैं.
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर कई तरह की सख्तियां और पाबंदियां लगाई गई हैं. इन पाबंदियों का सबसे बुरा असर निर्माण कार्यों में लगे दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रहा है, जिनकी जिंदगी अब ठहर सी गई है. जो श्रमिक रोजी-रोटी के लिए दैनिक कमाई पर निर्भर हैं, उनका कहना है कि उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि उनके बच्चे भूख से मर जाएंगे. दरअसल, एयर क्वालिटी इंडेक्स 450 से ऊपर जाने के बाद दिल्ली में GRAP-IV (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू कर दिए गए हैं.
अगर घर बैठे रहेंगे, तो क्या खाएंगे?
दो बच्चों की मां सुमन कहती हैं कि "अगर हम घर बैठे रहेंगे, तो क्या खाएंगे? बच्चों को क्या खिलाएंगे?" सुमन ने हाल ही में अपने श्रमिक कार्ड को रिन्यू कराया था. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि उन्हें सरकारी सहायता मिल जाएगी, लेकिन वह कहती हैं कि यह एक व्यर्थ प्रयास साबित हुआ. उनका कहना है कि हम रोज़ी-रोटी के लिए दैनिक कमाई पर निर्भर हैं. काम नहीं होने पर हमारे पास कुछ नहीं होता.
दिल्ली में वायु गुणवत्ता बेहद गंभीर
दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ दिनों से वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है. मंगलवार को भी राष्ट्रीय राजधानी में एक घना धुंध छाया रहा. AQI 488 तक दर्ज किया गया. इसके चलते निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध, ट्रकों के प्रवेश पर रोक और स्कूलों की बंदी की गई है. ऑफिसों को भी अपने कर्मचारियों के लिए बदलाव करने के निर्देश दिए गए हैं.
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