ग्राउंड रिपोर्ट: बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, निर्दलीय उम्मीदवार रविंदर भाटी ने बढ़ाई बीजेपी-कांग्रेस की टेंशन
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राजपूत समुदाय से आने वाले 26 वर्षीय भाटी ने छात्र राजनीति में अपने राजनीतिक कौशल को तेज किया. भाटी की चुनावी रैलियों में, खासकर बाड़मेर क्षेत्र में भारी भीड़ पहुंच रही है और वह शहर में चर्चा का विषय बन गए हैं. खासकर महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के बीच उनकी बढ़ती लोकप्रियता का जिक्र करते हुए लोग उनके और सचिन पायलट के बीच तुलना कर रहे हैं.
राजस्थान में पहले दो चरणों में जिन 25 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है, उनमें से बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर सबकी नजरें हैं. कारण, बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार रविंदर सिंह भाटी का मुकाबला कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल और बीजेपी के कैलाश चौधरी से है. मैदान में भाटी की एंट्री से, जो पहले द्विध्रुवीय मुकाबला होने की संभावना थी, उसने इसे दिलचस्प और त्रिकोणीय बना दिया है.
रविंदर भाटी वर्तमान में शेओ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. बीजेपी के साथ बातचीत सफल नहीं होने के बाद वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे हैं.
निर्दलीय उम्मीदवार रविंदर भाटी ने आजतक/इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, "मुझे भरोसा है. ये सभी लोग, पिता समान लोग, मातृ शक्ति और युवा साथी और 36 समुदायों के लोग जो आ रहे हैं, उन्हें भरोसा है कि रविंदर आगे आएगा और वह एक नेता की तरह नहीं, बल्कि एक बेटे की तरह क्षेत्र के लिए काम करेगा."
क्षेत्र में चर्चा का विषय बने रविंदर भाटी
राजपूत समुदाय से आने वाले 26 वर्षीय भाटी ने छात्र राजनीति में अपने राजनीतिक कौशल को तेज किया. भाटी की चुनावी रैलियों में, खासकर बाड़मेर क्षेत्र में भारी भीड़ पहुंच रही है और वह शहर में चर्चा का विषय बन गए हैं. खासकर महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के बीच उनकी बढ़ती लोकप्रियता का जिक्र करते हुए लोग उनके और सचिन पायलट के बीच तुलना कर रहे हैं. यह दिलचस्प त्रिकोणीय मुकाबले की ओर इशारा करते हुए बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ा रहा है.
दूसरी ओर, बीजेपी उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री और क्षेत्र से निवर्तमान सांसद कैलाश चौधरी बुनियादी ढांचे की कमी, खराब सड़कों, उचित स्कूलों की कमी, सीमा के पास के गांवों के पिछड़ेपन, पानी की कमी के कारण कुछ हद तक आलोचना का सामना कर रहे हैं. 2019 से इस क्षेत्र का प्रतिनिधि होने के नाते, उन्हें लोगों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उनकी वजह से मोदी को दंडित न किया जाए.