
खूबसूरत होने के बाद भी PoK तक नहीं पहुंचते ज्यादा पर्यटक! जानें- पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कैसा है टूरिज्म
AajTak
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में महंगाई, बिजली की तंगी जैसी मांगों पर प्रोटेस्ट जारी है. प्रदर्शनकारी तंग है कि कुदरती खूबसूरती से भरे हुए उनके इलाके को बेसिक सुविधाएं भी नहीं मिल पा रहीं. पीओके में घरेलू टूरिस्ट्स को भी आई कार्ड लेकर घूमना होता है, वहीं विदेशी पर्यटक कुछ तय जगहों पर ही जा सकते हैं, जिसके लिए परमिट लेना होता है.
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में अपने ही देश की सरकार के खिलाफ लगातार गुस्सा दिखता रहता है. इस बार लगभग पांच दिनों से चलते प्रोटेस्ट में 3 मौतें हो चुकीं. स्थानीय लोग पीओके की आजादी के नारे लगा रहे हैं. वैसे भारत के कश्मीर को तो धरती की जन्नत कहते हैं, लेकिन पीओके भी कुछ कम नहीं. हालांकि हालातों के चलते यहां टूरिज्म भी ठीक से फल-फूल नहीं पा रहा. कुछ ही इलाके हैं, जहां आम लोग घूमफिर सकते हैं.
प्रशासनिक स्ट्रक्चर कैसा है पीओके का
करीब 13 हजार किलोमीटर में फैले आजाद कश्मीर (जैसा यहां के स्थानीय लोग कहते हैं) में 40 लाख से ज्यादा आबादी है. ये लोग अपना मंत्रिमंडल और अपनी सरकार की बात करते हैं. इसका एक स्ट्रक्चर भी है. पीओके का चीफ राष्ट्रपति होता है, जबकि प्रधानमंत्री मुख्य कार्यकारी अधिकारी है. 10 जिलों में बंटे पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद है. इसके पास अपनी सुप्रीम कोर्ट भी है. लेकिन असल में सारा राज-कानून पाकिस्तान का चलता है.
कैसे होता है आना-जाना
पीओके के तीन मुख्य इलाके हैं- मीरपुर, मुजफ्फराबाद और पुंछ. इसकी राजधानी मुजफ्फराबाद है, जो इस्लामाबाद से सड़क रास्ते से जुड़ती है. वैसे यहां दो हवाई अड्डे भी हैं, लेकिन ये ज्यादातर बंद रहते हैं. रावलपिंडी से मुर्री होते हुए सड़क मार्ग से ही टूरिस्ट पीओके की अलग-अलग जगहों तक जाते हैं. इस्लामाबाद से भी बसें चलती हैं.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.










