
खतरनाक है कर्नाटक का रोहित वेमुला बिल, जातिगत बंटवारे की राजनीति में एक और कड़ी जुड़ी
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कर्नाटक सरकार द्वारा लाए जाने वाले रोहित वेमुला बिल को सवर्णों के खिलाफ षडयंत्र माना जा रहा है. कर्नाटक राज्य की 6 प्रतिशत आबादी को खलनायक बना देना देश-प्रदेश और समाज सभी के लिए खतरनाक हैं. भविष्य में जब रोहित वेमुला एक्ट लग जाएगा तो प्रदेश में हर बात पर 94 बनाम 6 के नाम पर फसाद होंगे.
दिसंबर 2023 में तेलंगाना में कांग्रेस सरकार बनी. सीएम बने रेवंत रेड्डी. मई 2024 में रोहित वेमुला सुसाइड केस में रेवंत सरकार ने खात्मा रिपोर्ट लगा दी. रिपोर्ट में कहा गया कि रोहित वेमुला अनुसूचित जाति के नहीं थे. उन्होंने अपनी पहचान उजागर होने के चलते सुसाइड कर लिया. यह क्लोजर रिपोर्ट अगर बीजेपी की किसी सरकार ने जारी की होती तो कहा जाता कि रोहित वेमुला के साथ न्याय नहीं हुआ. पर चूंकि दलित अधिकारों के लिए सबसे अधिक बयानबाजी करने वाले राहुल गांधी की पार्टी की ही एक सरकार ने यह रिपोर्ट लगाई इसलिए इस पर सवाल नहीं उठे. मामला दब गया. लेकिन, जिस रोहित वेमुला की जाति पर ही विवाद था, उसे पिछड़ी जाति के उत्पीड़न का पोस्टर बॉय बनाकर कर्नाटक सरकार जो करने जा रही है, वह और भी खतरनाक है.
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा रोहित वेमुला के नाम पर एक ऐसा बिल लाए जाने की खबर है, जिसमें अनुसूचित जाति, जनजाति के अलावा ओबीसी और अल्पसंख्यक छात्र भी अगर अपने साथ होने वाले उत्पीड़न की शिकायत करते हैं तो नए कानून के तहत एक गंभीर अपराध दर्ज किया जाएगा. गौरतलब है कि रोहित वेमुला बिल को जल्दी पेश करने के लिए कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को राहुल गांधी ने पत्र लिखा था. लेकिन, राहुल गांधी को यह अंदाजा नहीं है कि सवर्ण छात्र, फैकल्टी और संस्थान को घेरने वाला यह कठोर बिल किस तरह से देश और समाज को खंडित करने की हैसियत रखता है.
क्या है कर्नाटक सरकार का प्रस्तावित रोहित वेमुला बिल
कर्नाटक सरकार द्वारा प्रस्तावित रोहित वेमुला (रोकथाम और अन्याय का निवारण) (शिक्षा और सम्मान का अधिकार) बिल, 2025 ने भारत में सामाजिक और राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है. बिल का उद्देश्य अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा में समानता सुनिश्चित करना और भेदभाव को रोकना है.
कानून के किसी भी उल्लंघन के लिए, संस्थान के मामलों के प्रभारी व्यक्ति को एक वर्ष के कारावास और 10,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. इसके साथ ही राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं को कोई वित्तीय सहायता या अनुदान नहीं देगी. प्रस्तावित अधिनियम के तहत किया गया प्रत्येक अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा.
अदालत, जुर्माने के अतिरिक्त, आरोपी द्वारा भेदभाव के शिकार व्यक्ति को देय उचित मुआवजा भी प्रदान करेगी, जो अधिकतम 1 लाख रुपये तक होगा. बार-बार अपराध करने पर व्यक्ति को तीन वर्ष की कैद और 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

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