
क्या पेट्रोल-डीज़ल गाड़ियों से भी ज़्यादा प्रदूषण फैलाते हैं इलेक्ट्रिक वाहन? जानें पूरी डिटेल
AajTak
अमेरिकी राष्ट्रपति Donald trump ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन, कई एक्जीक्यूटिव ऑडर्स पर साइन किए. अब ट्रम्प ने अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहनों की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का ये कदम ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की दिशा में हो रहे वैश्विक प्रयासों के लिए अच्छा संकेत नहीं है. ये भी कहा जा रहा है कि पेट्रोल-डीजल से ज्यादा प्रदूषण तो इलेक्ट्रिक वाहनों (EV's) से होता है. आइए जानते हैं कि सच क्या है. क्या वाकई इलेक्ट्रिक गाड़ियां पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं? अगर ऐसा है, तो क्यों?
पर्यावरण को बचाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का कॉन्सेप्ट लाया गया. कुछ साल पहले जहां इक्का-दुक्का कार कंपनियां ही EV बनाती थीं, वहीं आज हर बड़ा प्लेयर इलेक्ट्रिक वाहन बना रहा है. वो इसलिए, क्योंकि भारत सरकार EV को बढ़ावा दे रही है. हाल ही में भारत सरकार ने 10,900 करोड़ की PM E Drive योजना को मंजूरी दी, ताकी लोग ज्यादा से ज्यादा ईवी खरीदें. इसके लिए सब्सिडी भी दी जा रही है. इन कारों के लिए बहुत सारे मॉनिटरी बेनिफिट्स भी दिए जा रहे हैं, जैसे GST, Tax और परमिट वगैरह में छूट. सरकार ने 2030 तक प्राइवेट इलेक्टिक कार में 30 प्रतिशत वृद्धि और टू-व्हीलर और थ्री व्हीलर में 80 प्रतिशत वृद्धि हासिल करने के लिए नए टारगेट भी सेट किए हैं. यही वजह है कि भारत में ईवी का मार्केट बूम कर रहा है. और उम्मीद की जा रही है कि 2030 तक भारत में ईवी का मार्केट 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा.
आमतौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों को Eco Friendly, यानी पर्यावरण के लिए सुरक्षित माना जाता है. वो इसलिए, क्योंकि इनसे प्रदूषण नहीं फैलता और ये आवाज़ भी नहीं करतीं, लेकिन ये पूरा सच नहीं है. हो सकता है कि आपके लिए EVs किफायती हों, लेकिन जिस फिक्र को लेकर EV का कॉन्सेप्ट लाया गया था, उसे दरकिनार नहीं किया जा सकता. असल में ये गाड़ियां तो पर्यावरण को पेट्रोल-डीजल कार से भी ज़्यादा नुकसान पहुंचा रही हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रोडक्शन प्रोसेस हो, उनके ब्रेक और टायर हों या उनकी बैटरी हो, ये सभी इतना प्रदूषण फैलाते हैं कि आप सोच नहीं सकते. आइए एक-एक करके समझते हैं, कैसे.
इलेक्ट्रिक गाड़ियों का उत्पादन
EV और नॉर्मल इंजन के एमिशन की तुलना करने पर पाया गया कि EV के टोटल कार्बन एमिशन का 46 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ प्रोडक्शन प्रोसेस से आता है. जबकि नॉर्मल गाड़ियों में ये 26 प्रतिशत है. हैरान करने वाली बात ये है कि एक इलेक्ट्रिक कार के बनने की प्रक्रिया के दौरान करीब 5- 10 टन कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है.
ईवी और नॉर्मल गाड़ी की बॉडी, चेसिस और दूसरे कंपोनेंट लगभग एक जैसे ही होते हैं. इन्हें बनाने में एलुमिनियम और स्टील जैसी धातुओं का इस्तेमाल किया जााता है. लेकिन ईंधन की बात करें, तो ईवी बैटरी से चलती है. ये लीथियम आयन बैटरी होती हैं, जो रेयर अर्थ मेटल्स से बनी होती है. ये मैटल हैं- लीथियम, कोबाल्ट, निकल और मैगनीज़.
बैटरी से होता है प्रदूषण

Phone Location Tracking: संचार साथी को लेकर चल रहा विवाद थमा ही था कि एक नया प्रस्ताव सामने आ गया है. इस प्रस्ताव पर सरकार अभी विचार कर रही है, जिसे COAI ने पेश किया है. इसके तहत सरकार के आदेश पर स्मार्टफोन कंपनियों को फोन में हमेशा लोकेशन ऑन रखनी होगी. यानी यूजर चाहे, तो भी इसे बंद नहीं कर पाएंगे. आइए जानते हैं पूरा मामला.

Amy Barnes painkiller overdose, Lancashire woman painkiller death, accidental overdose painkillers UK, spine surgery waiting list tragedy, woman dies after taking painkillers, alcohol and painkillers overdose case, Mirror report Amy Barnes, Preston Coroners Court investigation, painkiller misuse fatal case, UK medical negligence or overdose

HMD 101 और HMD 100 को भारत में लॉन्च कर दिया गया है. ये फोन्स कम कीमत में दमदार फीचर्स के साथ आते हैं. कंपनी ने इन फोन्स को 1000 रुपये से कम के इंट्रोडक्टरी प्राइस पर लॉन्च किया है. HMD 101 में कॉल रिकॉर्डिंग, MP3 प्लेयर और दमदार बैटरी जैसे फीचर्स मिलते हैं. आइए जानते हैं इन फोन्स की कीमत और दूसरे फीचर्स.

सिंगापुर के हाई कमिश्नर टू इंडिया, साइमन वोंग ने अपनी पोस्ट में दो स्क्रीनशॉट भी साझा किए. पहला स्क्रीनशॉट इंडिगो की ओर से आया व्हाट्सऐप अलर्ट था, जिसमें फ्लाइट कैंसिल होने की जानकारी दी गई थी. दूसरा स्क्रीनशॉट शादी स्थल पर मौजूद मेहमानों द्वारा भेजा गया, जिसमें उन्हें वोंग का इंतजार करते हुए देखा जा सकता था.









