कोरोना ने मचाई तबाही, एक लाख छात्र बोर्ड एग्जाम के खिलाफ, क्या कहते हैं एक्सपर्ट
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देशभर में एक बार फिर कोरोना ने जोर पकड़ लिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर का सबसे ज्यादा शिकार 15 से 17 साल के बच्चे हो रहे हैं. ऐसे में सरकार की ओर से बोर्ड एग्जाम कैसे लिए जाएं, जानिए एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं...
बेशक कोरोना अविश्वसनीय और अकल्पनीय घटना है लेकिन इसे आए हुए सालभर से ज्यादा समय बीत चुका है. ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच परीक्षा छात्रों की जान को जोखिम में नहीं डालेगा? क्या सीबीएसई या सरकार को इस खतरे का अंदेशा नहीं था? क्या परीक्षा की तारीख घोषित करते वक्त सरकार मानकर चल रही थी कि चार मई तक हालात सुधर जाएंगे? क्या कोरोना काल में पढ़ाई और परीक्षा को लेकर सीबीएसई और सरकार कोई ठोस नीति बनाने में नाकाम रही? क्या परीक्षा का कोई और भी वैकल्पिक तरीका हो सकता है? अभी की स्थिति से साफ है फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं बनी है. लिहाजा परीक्षा टालने या फिर ऑनलाइन परीक्षा की मांग को लेकर सोशल मीडिया में मुहिम शुरू हो चुकी है. इस मुहिम में ऑनलाइन पिटीशन पर एक लाख से ज्यादा परीक्षार्थी दस्तखत कर चुके हैं. कोविड केस बढ़ते जा रहे हैं, वहीं एक बार फिर 10वीं और बारहवीं की परीक्षा को लेकर संशय की स्थिति पैदा हो गई है. कई राज्यों में अप्रैल के आखिरी हफ्ते से परीक्षाएं होनी हैं जबकि सीबीएसई की परीक्षा चार मई से होनी है. सवाल उठ रहा है कि कैसे होंगी परीक्षाएं? एक्सपर्ट से जानिए. aajtak से बातचीत में एल्कॉन स्कूल के प्रिंसिपल व शिक्षाविद डॉ अशोक पांडे ने कहा कि स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो ये बहुत बड़ा रिस्क है लेकिन दूसरा बहुत बड़ा रिस्क पढ़ाई का है. वो रिस्क भी हम एक साल से देख रहे हैं. लास्ट ईयर की तुलना करें तो उस साल पढ़ाई हुई थी लेकिन एग्जाम के समय दिक्कत आ गई. लेकिन इस साल ऑनलाइन पढ़ाई हुई अगर सेकेंड वेव न आती तो ऐसा लग रहा था कि हालात काफी सामान्य हो गए थे. इसी को देखते हुए परीक्षा की तारीख चार मई रखी गई थी. सरकार ने खुद इसका ध्यान रखते हुए ये फैसला लिया था.
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