कोरोनाः भोपाल के श्मशान घाट में अस्थि कलश रखने की जगह नहीं, नई अलमारियां ऑर्डर की जा रहीं
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ श्मशान घाट में अब अस्थि कलश रखने तक की जगह नहीं बची है. हालात ये हैं कि अब श्मशान घाट वाले नई अलमारियां ऑर्डर देने लगे हैं.
मध्य प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर भयावह होती जा रही है. राजधानी भोपाल में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं. पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर ज्यादा डरावनी है, क्योंकि इस लहर में मरने वालों की संख्या भी काफी ज्यादा हो रही है. अभी तक तो ऐसा था कि अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को श्मशान घाट में लंबा इंतजार करना पड़ता था, लेकिन भोपाल में तो अब ऐसे हालात भी बन गए हैं कि श्मशान घाट के लॉकर्स में अस्थि कलश रखने तक की जगह नहीं बची है. भोपाल के भदभदा श्मशान घाट में 5 बड़ी अलमारियां हैं, जिनमें यहां होने वाले अंतिम संस्कार के बाद अस्थि कलश को रखा जाता है. लेकिन बीते कुछ दिनों से यहां रोजाना 50 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है. बीते 5 दिनों की बात करें तो भदभदा श्मशान घाट पर करीब 400 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. इनमें से ज्यादातर का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया गया है. अंतिम संस्कार के बाद अस्थि कलश को श्मशान घाट के लॉकर में रखा जाता है और जैसे-जैसे परिजन अपनों की अस्थियां लेने आते हैं उन्हें अस्थियां दे दी जाती हैं. लेकिन बीते कुछ दिनों से बड़ी संख्या में अंतिम संस्कार होने के कारण यहां अस्थि कलश का ढेर बढ़ता जा रहा है. लॉकडाउन के कारण ज्यादातर लोग अस्थि कलश लेने पहुंच ही नहीं पा रहे हैं. जिसके चलते लॉकर में अब जगह कम पड़ने लगी है.केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर 1,495 वाहनों की क्षमता वाले बीस पार्किंग स्थल स्थापित किए. उन्होंने पार्किंग प्रबंधन के लिए एक क्यूआर कोड-आधारित प्रणाली शुरू की. उन्होंने यमुनोत्री और गंगोत्री यात्रा मार्गों पर नियंत्रित वाहन आवाजाही के लिए 3-4 होल्डिंग पॉइंट बनाए. केदारनाथ मार्ग पर बेहतर यातायात प्रबंधन के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात किए हैं.
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